चंडीगढ़, 19 मई (ट्रिन्यू)
जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर हरियाणा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी का लाइसेंस रद्द किया है। इस कार्रवाई के पीछे कैग की रिपोर्ट को भी आधार बनाया गया है।
हरियाणा की पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में गुरुग्राम के सेक्टर-83 स्थित शिकोहपुर में 3.52 एकड़ जमीन पर कमर्शियल कालोनी काटने के लिए ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को 2008 में यह लाइसेंस दिया था। ओंकारेश्वर प्राॅपर्टीज ने यह जमीन राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हाॅस्पिटेलिटी को दे दी थी। इसके बाद वाड्रा के स्वामित्व वाली स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी ने डीएलएफ होम डेवलपर्स को काफी ऊंचे दामों पर बेच दी थी। यह मामला वर्ष 2012 में उस समय उजागर हुआ जब चकबंदी विभाग के तत्कालीन महानिदेशक अशोक खेमका ने इस जमीन का म्यूटेशन (इंतकाल) रद कर दिया था। इसके बाद पूरे देश में यह मामला उछल गया। भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए इसे मुद्दा बनाया। करीब आठ साल की लंबी प्रक्रिया के बाद टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने इस जमीन के लाइसेंस का नवीनीकरण न करते हुए निर्धारित समय अवधि में कमर्शियल कालोनी न काट पाने की वजह से लाइसेंस रद करने के आदेश जारी कर दिये हैं। हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के निदेशक केएम पांडुरंग ने 9 मार्च को पांच पेज का आदेश जारी करते हुए यह लाइसेंस रद किया है। इस आदेश में कैग की रिपोर्ट और जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिनमें जमीन के आवंटन से लेकर बिक्री और लाइसेंस के नवीनीकरण के साथ-साथ निर्धारित समय अवधि में कमर्शियल कालोनी न बना पाने का जिक्र किया गया है। आदेश में तत्कालीन चकबंदी महानिदेशक खेमका की टिप्पणियां भी दर्ज हैं, जिन्हें आधार बनाकर यह लाइसेंस रद किया गया है।
सार्वजनिक नहीं हुई रिपोर्ट
पूर्व हुड्डा सरकार के कार्यकाल में हुई इस गड़बड़ी का पता लगाने के लिए भाजपा सरकार ने जस्टिस एसएन ढींगरा की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था। आयोग की रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई,लेकिन समय-समय पर कुछ-कुछ बिंदु उजागर होते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस आयोग के गठन को नियमों के विपरीत बताते हुए अदालत में चुनौती दी हुई है।
कैसे बदल गए वाड्रा के लिए नियम
राबर्ड वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट को गुरुग्राम की यह बेशकीमती जमीन देने के लिए ओंकारेश्वर प्राॅपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को माध्यम बनाया गया। चार जनवरी 2008 में गुरुग्राम के गांव शिकोहपुर में कमर्शियल कालोनी के लिए इस जमीन का लाइसेंस दिया गया था। फिर यह जमीन वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट को बेची गई। स्काई लाइट ने इस जमीन को डीएलएफ को बेच दिया था। 28 मार्च 2008 को 2.701 एकड़ जमीन का लेटर आॅफ इंटेंट जारी हुआ। साथ ही 30 दिनों में सभी कंप्लाइंस पूरा करने के लिए कहा गया। 22 अगस्त 2008 में डीएलएफ ने कंप्लाइंस जमा कराये। साथ ही स्काई लाइट के साथ कोलेबरेशन एग्रीमेंट भी जमा कराया गया। 20 मई 2012 में इस कालोनी का बिल्डिंग प्लान अप्रूव हो गया, जिसकी समय अवधि मई 2017 तक रही। इस अवधि तक कालोनी का निर्माण हो जाना चाहिए था। यह आज तक सिरे नहीं चढ़ सका।