पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 15 जनवरी
भले ही नौवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही है, लेकिन किसान इससे नाउम्मीद कतई नहीं है। किसानों का कहना है कि आज नहीं तो कल सरकार को कानून तो वापस करने ही होंगे, बस वह हमारे सब्र की परीक्षा ले रही है। सरकार को कहीं ना कहीं अब भी उम्मीद है कि वह आंदोलन को कमजोर कर देगी या तोड़ देगी, लेकिन हकीकत यह है कि यह आंदोलन जनाक्रोश हो गया है और देशभर में तेजी से फैल रहा है। ऐसे में 19 जनवरी ना सही, चार दिन बाद सरकार को मानना ही पड़ेगा।
किसान नेताओं का कहना है कि दरअसल, सरकार पहले दिन से गफ्लत में है कि किसानों का आंदोलन कमजोर हो जाएगा। 51 दिन बाद भी यह समझ नहीं आया कि यह आंदोलन जनाक्रोश बन गया है। अब यह सरकार को तय करना है कि वह आंदोलन को और कितना व्यापक कराना चाहती है। किसान के बारे में पूरी तरह सरकार नहीं जानती कि वह कितना सब्र और संयम करता है। वहीं, किसान नेताओं का कहना है कि बातचीत के लिए किसान अब मनाही नहीं करेंगे। क्योंकि ऐसा करने से सरकार को लोगों में भ्रम पैदा करने का मौका मिलता है। इधर, संयुक्त मोर्चा की ओर से डा. दर्शनपाल ने कहा कि केंद्र की सरकार किसानों की मांग सुनने की बजाए आंदोलन में शामिल लोगों को परेशान करने पर तुली है। देशभर में जो समाजसेवी दिल्ली के लिए बसें भेज रहे हैं या शहीद किसानों को आर्थिक मदद कर रहे हैं, उन्हें एनआईए द्वारा बार-बार जांच के नाम पर परेशान किया जा रहा है। यह किसान सहयोगियों की मानसिक प्रताड़ना है और इसका मोर्चा विरोध करता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रस्तावित कमेटी के सुझाव को वह पहले ही नकार चुके हैं। सदस्य भूपिंदर मान के कमेटी से बाहर होने के फैसले का किसान स्वागत करते है और साथ अन्य सदस्यों से भी अपील करते है कि अंतरात्मा की आवाज़ सुनते हुए इन कृषि कानूनों की असलियत को स्वीकार करेकं और वे अपना विरोध प्रकट करे और कानूनों को सिरे से रद्द करने की मांग रखे।
सुनवाई के बाद घोषित होगी रणनीति
किसान नेता डा. दर्शनपाल ने कहा कि 26 जनवरी की किसानों की ट्रैक्टर परेड को लेकर भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, जबकि किसानों के इस शक्ति प्रदर्शन का राजपथ की परेड से कोई सरोकार नहीं है। ये किसानों की अपनी परेड है। इसके लिए 17 जनवरी को जत्थेबंदियों की बैठक में रणनीति तैयार की जाएगी। 18 जनवरी को सुप्रीम इस मामले में कोर्ट में सुनवाई है। सुप्रीम कोर्ट के रूख और निर्णय के बाद किसान अपनी रणनीति का ऐलान करेंगे।
ओडिशा से दिल्ली चलो यात्रा, महाराष्ट्र में रैली
किसान नेता डा. दर्शनपाल ने कहा कि सरकार को लगता है कि किसान आंदोलन कमजोर हो रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि शनिवार 16 जनवरी को मुम्बई फ़ॉर फार्मर्स के बैनर तले महाराष्ट्र के किसान संगठन, अन्य प्रगतिशील संगठनों के साथ मिलकर रैली और आम सभा का आयोजन कर रहे है। वहीं, आज शुक्रवार 15 जनवरी को ओडिशा से किसान दिल्ली चलो यात्रा शुरू हुई। यह यात्रा अगले सात दिनों में ओड़िशा से पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश होते हुए दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हुए किसानों के पास 21 तारीख को पहुंचेगी। इसी तरह किसान ज्योति यात्रा” 12 जनवरी से पुणे से शुरू हो चुकी है और यह 26 जनवरी को दिल्ली पहुंचेगी।