ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 30 जून
हरियाणा सरकार ने ‘मुख्यमंत्री शहरी स्वामित्व योजना’ की विधिवत रूप से शुरूआत कर दी है। पहली जुलाई से इस पोर्टल के जरिए आवेदन किया जा सकेगा। इसके तहत शहरी स्थानीय निकायों – नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाओं की जमीनों के कब्जाधारियों को मालिकाना हक मिलेगा। बुधवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इस योजना का वेबपोर्टल लांच किया। अब निकायों की प्रॉपर्टी पर 20 साल या इससे अधिक समय से काबिज लोग मालिकाना हक के लिए आवेदन कर सकेंगे। यह पोर्टल हर सोमवार को एक दिन के लिए खुलेगा और एक सप्ताह में 1 हजार ही आवेदन इस पर जमा हो सकेंगे। वर्तमान में नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं के 16 हजार 23 कब्जाधारियों को चिह्नित किया है। प्रदेश के 11 नगर निगमों में 7 हजार 148, 22 नगर परिषदों में 5 हजार 607 तथा 59 नगर पालिकाओं में 3 हजार 868 कब्जाधारियों को चिह्नित किया है। यह संख्या 25 हजार के करीब हो सकती है। निकायों की प्रॉपर्टी पर काबिज लोगों को कलेक्टर रेट के हिसाब से मालिकाना हक मिलेगा।
माना जा रहा है कि इससे निकायों को लगभग एक हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। सीएम ने स्पष्ट किया है कि निकायों में शामिल गांवों की पंचायती जमीन के कब्जाधारियों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। मालिकाना हक के लिए तय कलेक्टर रेट में भी 20 से 50 प्रतिशत तक की छूट दी गई है। मालिकाना हक के लिए जरूरी दस्तावेजों को भी काफी सरल किया है। सरकार ने 10 तरह के दस्तावेजों का विकल्प दिया है। इनमें से किसी एक दस्तावेज के होने पर मालिकाना हक मिलेगा।
मुख्यमंत्री शहरी स्वामित्व योजना में वे सभी कब्जाधारी शामिल हो सकेंगे, जिन्हें 31 दिसंबर, 2020 को निकायों की प्रॉपर्टी पर काबिज हुए 20 साल या इससे अधिक समय हो चुका है। इसके लिए अब उन्हें सेल्फ सर्टिफाइड लेटर देकर बताना होगा कि वे कितने समय से जमीन पर काबिज हैं। साथ ही, उन्हें यह भी बताना होगा कि उनके पास कुल कितनी जमीन है और कितने पर निर्माण किया हुआ है। सीएम ने कहा कि योजना लागू होने के बाद कोर्ट में चल रहे मामले भी खत्म होंगे। कोर्ट के बाहर समझौता करने वाले इस योजना में शामिल हो सकेंगे।
बेसमेंट के लिए बनेगी पॉलिसी
मालिकाना हक के लिए ग्राउंड फ्लोर से लेकर दूसरी मंजिल तक की योजना बनाई है। सीएम ने कहा कि कुछ ऐसे मामले भी है, जिनमें बेसमेंट भी बनी हुई है और उसका कब्जा किसी और के पास है। इसके लिए भी पॉलिसी में संशोधन जल्द होगा ताकि ऐसे लोगों को भी लाभ मिल सके। पूरी बिल्डिंग पर अगर एक ही व्यक्ति काबिज है तो पूरी जमीन की रजिस्ट्री उसके नाम होगी। दोमंजिला मामलों में ग्राउंड फ्लोर के कब्जाधारी को कलेक्टर रेट का 60 प्रतिशत और फर्स्ट फ्लोर वाले को 40 प्रतिशत देना होगा। अगर भवन तीनमंजिला है तो यह राशि 50, 30 और 20 प्रतिशत के अनुपात में बंटेगी।
दस्तावेज के तौर पर ये होंगे विकल्प
संबंधित निकाय द्वारा जारी अलॉटमेंट लेटर के अलावा संपत्ति स्थानांतरण पत्र की कॉपी साथ लगाई जा सकेगी। ये भी नहीं हैं तो वास्तविक आवंटी या उप-किरायेदार के बीच हुए समझौते (एग्रीमेंट) की कॉपी भी दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल हो सकेगी। पालिका या मूल संपत्ति स्वामी द्वारा जारी की गई किराये की रसीद भी यूज हो सकेगी। संबंधित स्थल, दुकान या मकान के अधिकार को प्रमाणित करने वाला पालिका का रिकार्ड भी मालिकाना हक में अहम रहेगा। इनमें से कुछ भी नहीं है तो बिजली व पानी के कनेक्शन की कॉपी से भी काम चलेगा। अगर ये दस्तावेज भी नहीं हैं तो सेल्स टैक्स, वैट व जीएसटी से जुड़े रजिस्ट्रेशन नंबर, आयकर रिटर्न, शॉप एक्ट के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन व फायर की एनओसी को भी वैध दस्तावेज माना जाएगा।
यह दुविधा भी हुई दूर
सरकार ने उन कब्जाधारियों को भी बड़ी राहत दी है, जिन्होंने दुकान/मकान के वास्तविक साइज से अधिक पर निर्माण किया हुआ है। ऐसे कब्जाधारियों को मूल जगह के लिए कलेक्टर रेट का भुगतान करना होगा और अतिरिक्त कब्जाई गई जमीन के लिए 1 हजार रुपये प्रति वर्गगज के हिसाब से अतिरिक्त पैसा देना होगा। इतना ही नहीं, जिन कब्जाधारियों का कोई रिकार्ड निकायों के पास नहीं है, ऐसे मामलों में एकमुश्त 30 हजार रुपये ट्रांसफर फीस देकर प्रॉपर्टी को हस्तांतरित करवाया जा सकेगा। कलेक्टर रेट पर 20 से 50 प्रतिशत तक की छूट ऐसे मामलों में भी लागू रहेगी।
रुटीन काम में नहीं खर्च सकेंगे पैसा
सीएम ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि मालिकाना हक योजना के तहत आने वाले पैसा का इस्तेमाल संबंधित निकाय रुटीन के कार्यों में नहीं कर सकेंगे। इसके लिए अलग से बैंक खाता खुलवाना होगा। इस पैसे का इस्तेमाल निकाय जमीन खरीदने या किसी बड़े प्रोजेक्ट के लिए यूज कर सकेंगे। वेतन-भत्तों, पेंशन जैसे रुटीन के कार्यों में अगर इस पैसे का इस्तेमाल करना है तो इसके लिए पहले सरकार ने परमिशन लेनी होगी।