कुरुक्षेत्र, 27 मार्च (हप्र)
कुरुक्षेत्र के कैलाश नगर स्थित सेमिनार हॉल में उक विशाल काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका आयोजन डॉ. ओम प्रकाश ग्रेवाल संस्थान द्वारा किया गया। इसकी अध्यक्षता ओमप्रकाश ‘उल्फत’ (करनाल) व समकालीन कविता के प्रमुख हस्ताक्षर बृजेश कठिल ने की। सफल संचालन कपिल भारद्वाज द्वारा किया गया। हरपाल के नव-प्रकाशित काव्य-संग्रह ‘औरतें पैदा नहीं होतीं’ और उल्फत जी के गजल-संग्रह ‘शाम-ए-गजल’ का विमोचन जयपाल, ओमप्रकाश करुणेश, डॉ. अशोक भाटिया, डॉ. रविन्द्र गासो व अध्यक्ष-मंडल द्वारा किया गया। दीपक वोहरा (करनाल) व करुणेश ने दोनों पुस्तकों और कवियों का परिचय दिया।
शायरों व कवियों द्वारा पेश की गई कला की कुछ चुनींदा बानगी इस तरह रही। उल्फत – ‘देख ली मैंने यह दुनिया देख ली, अपने गांव की गली अच्छी लगी। ‘नहीं मंजिल का कुछ नामों निशां तक, यहां राही हैं कम रहबर बहुत हैं। जीत भोला- संगदिल वो पानी की धार से वाकिफ नहीं, किस तरह दिल में रहेगा प्यार से वाकिफ नहीं। देवेन्द्र बीबीपुरिया ‘मेहरम’ – अरे वो शख्स भी कितने गजब की बात करता है, मशीनी दौर में देखो अदब की बात करता है। दीपक वोहरा – अब आर है या पार है, बस इंकलाब ही दरकार है। उन्हें यदि है अंधेरे का, हमें उजाले का इंतजार है।