शिमला, 7 जून (हप्र)
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार चुनावों में भले ही गारंटियां देकर खासकर प्रदेश की महिलाओं की जेबें भरने की बातें करती रही मगर हकीकत की जमीन पर सरकार की हालत इसके ठीक विपरीत है। हालत यह है कि सुक्खू सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन और पेंशनरों को पेंशन देने के लिए पैसा नहीं है। हिमाचल में मेहमानों का आतिथ्य सत्कार करने वाले पर्यटन विकास निगम के कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुए हैं। उन्हें जून का पहला सप्ताह बीत जाने के बाद भी वेतन मिलने का इंतजार है। महीने का पहला सप्ताह गुजर चुका है और अगले दो दिनों तक अवकाश रहेगा। उसके बाद दूसरे सप्ताह में वेतन मिलने की संभावना हो सकती है। सामान्य तौर पर पर्यटन निगम के कर्मियों को हर महीने दस तारीख के बाद ही वेतन की आस बंधती है। पर्यटन निगम के 1800 कर्मचारियों को वेतन भुगतान करने के लिए 6.50 करोड़ चाहिए। पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक राजीव कुमार का कहना है कि पर्यटन निगम को भी निजी क्षेत्र की तरह व्यावसायिकता को अपनाना पड़ेगा, तभी वेतन सहित अन्य सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी। समस्त कर्मचारी वर्ग को इस विषय पर चिंतन करना चाहिए।
दूसरी ओर राज्य पथ परिवहन निगम के पेंशनरों को भी अभी तक पेंशन नहीं मिल पाई है। निगम के कर्मचारियों को वेतन 3 जून को मिला था। परिवहन निगम में 9527 कर्मचारी और 7720 पेंशनर हैं। चुनाव के दौरान कर्मचारियों व पेंशनरों को वेतन-पेंशन का भुगतान समय पर होता रहा। चुनाव के बाद वेतन भी तीन तारीख को मिला और पेंशनरों को पेंशन मिलने का कोई पता नहीं है।
निगम में करीब एक साल पहले से वेतन और पेंशन मिलने का कोई निर्धारित समय नहीं है। निगम के प्रबंध निदेशक रोहन ठाकुर का कहना है कि निगम में आने के बाद पहली बार पेंशन भुगतान होने में विलंब हुआ है। इससे पहले कर्मचारियों को वेतन पहली तारीख को मिलता रहा।