यशपाल कपूर/निस
कसौली (सोलन), 15 अक्तूबर
कसौली में चल रहे तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिट फेस्ट के अंतिम दिन का सत्र लाइट, कैमरा, एक्शन काफी चर्चा में रहा। इस सत्र में जाने-माने फिल्म अभिनेता और राजनेता राज बब्बर, उनकी बेटी जूही बब्बर सोनी और दामाद अनूप सोनी के बीच दिल को छू लेनी वाली चर्चा हुई। इसमें बाप-बेटी और ससुर-दामाद संवाद का सभी ने आनंद उठाया। इस सत्र का संचालन अनूप सोनी ने किया।
राज बब्बर ने नसीहत दी कि वॉलीबुड में मैच्योर होने पर ही अभिनेता या अभिनेत्री अपने बच्चों को लांच करें। कुछ चाइल्ड आर्टिस्ट पहले बन जाते हैं, जान-पहचान के कारण फिल्म भी मिल जाती है, लेकिन वे सफल नहीं हो पाते। उनके चेहरे की भाव-भंगिमाएं परिपक्व नहीं होतीं।
बेटी अब उठा सकती है बॉलीवुड का बोझ
जूही बब्बर ने कहा कि उन्हें भी पापा की भांति एक्टिंग में ही करियर बनाना था। आज से 30 साल पहले यह बात पापा से कहने का मतलब भूकंप, सुनामी, बवंडर सब कुछ था। उन्होंने चुपचाप एनआईएफटी मुंबई के पहले बैच में एडमिशन ले ली। साथ में थियेटर करती थी। स्नातक होने के बाद एक प्ले आया बेगम जान। इसमें उनकी मां नादिरा मुख्य किरदार में थी और एक पोती का रोल मैंने किया। पापा ने भी यह नाटक देखा और समाप्त होने के बाद मेरे कंधों को जोर से झकझोरा। इससे मुझे पता लग गया कि पापा को मेरा काम पसंद आया। जूही बब्बर ने कहा कि वॉलीबुड के इतिहास में मेरे पापा पहले ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने अपनी बेटी को लांच करने के लिए फिल्म बनाई – काश आप हमारे होते। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाल नहीं मचा पाई। इस पर राज बब्बर ने कहा कि जो कंधे पर हाथ रखकर झकझोरा था, उस नाटक में अभिनय देखकर मैं समझ गया था कि मेरी बेटी अब वॉलीबुड का बोझ उठाने के काबिल हो गई है। जूही बब्बर ने कहा कि राजनीति को अलविदा कहने के बाद पापा को आप दोबारा पर्दे पर देख सकेंगे। वह वेब सीरिज में काम कर रहे हैं।
एक्टिंग ही मेरी पहचान
राज बब्बर ने कहा कि मैं अभिनेता हूं। अभिनय से ही मेरी पहचान है। मैंने न नौकरी करने और न डायरेक्टर बनने की कसम खाई है।
इन्होंने दिया राज बब्बर को पहला ब्रेक
कसौली में राज बब्बर अपने पुराने दोस्तों से भी मिले। इसमें उनके पटियाला में थियेटर के दोस्त अवतार सिंह अरोड़ा भी शामिल थे। जब राज बब्बर पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में पढ़ते थे तब वह पंजाब कला मंच में थियेटर के गुर सीखा करते थे। अवतार सिंह अरोड़ा ने बताया कि उनका परिवार व्यवसायी था और वह भी व्यवसाय में ही जाना चाहते थे, लेकिन साथ में शौकिया तौर पर थियेटर भी करते थे। उन्हें नाटक में एक रोल मिला, लेकिन उन्होंने इस रोल को करने से मना कर दिया। यह रोल फिर राज बब्बर ने किया। राज आज भी कह रहे थे कि मुझे जीवन का पहला ब्रेक आपने दिया।
अगले साल फिर मिलने का वादा कर लौटे इनोवेटिव राइटर
कसौली में आयोजित तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिटफेस्ट रविवार को संपन्न हो गया। अगले साल फिर मिलने का वादा कर यहां से देश-विदेश से आए इनोवेटिव राइटर विदा हुए। खुशवंत सिंह के बेटे और लिट फेस्ट के मुख्य आयोजक राहुल सिंह ने सभी देश-विदेश से आए अतिथियों का इस लिटफेस्ट में आने पर आभार जताते हुए अगले साल फिर मिलने का वादा किया।
एक पिता की व्यथा
राज बब्बर ने कहा कि जब मेरी बेटी जूही का दिल्ली के साकेत स्थित नर्सिंग होम में जन्म हुआ तो, उन्हें एक दिन बेटी लेने के लिए रुकना पड़ा क्योंकि अस्पताल ने जो बजट दिया, उनके पास 300 रुपए कम थे। वह पैसे के जुगाड़ में लगे थे। इस दौरान उन्हें एक सप्ताह का काम मिल गया, जिसकी एवज में उन्हें 175 रुपए प्रतिदिन मिले। उन्होंने इसके लिए फटाफट हामी भर दी और एडवांस पेमेंट की भी मांग कर डाली। इस तरह जूही को अस्पताल से घर लाया गया।
ये वक्ता रहे अंतिम दिन
कसौली में चल रहे खुशवंत सिंह लिट फेस्ट का अंतिम दिन अपर्णा पिरामल राजे व अमृता त्रिपाठी से शुरू हुआ। इस सत्र में द हैप्पीनेस हाइपोथेसिस पर विस्तार से चर्चा की गई। अन्य सत्र में मरिया जोरेती, कल्पेश रत्न और फरजाना कांट्रेक्टर के बीच- ईट, ड्रिंक एंड बी मैरी, फॉर टुमाॅरो यू मे डाइट – पर चर्चा हुई। विक्रमजीत सिंह और बातचीत काकरिया के बीच सेवा – ए वे आफ लाइफ -पर संवाद हुआ। अगले सत्र में अंजुम हसन और सारा जैकब के बीच -बीइंग मुस्लिम इन टुडेज इंडिया-पर चर्चा हुई। अनुराधा कपूर, रुपिंदर सिंह और महुआ चिनप्पा के बीच वेयर बी बिलॉन्ग पर चर्चा हुई। किरणदीप संधू ,राजन कश्यप और ऑलव ऑफ़स्टेड के बीच न्यू वॉइसिस, न्यू रिवॉल्यूशंस पर चर्चा हुई।