बीबीएन, 6 अक्तूबर (निस)
महलोग क्षेत्र के एक शताब्दी से अधिक पुरानी प्राथमिक पाठशाला सूरजपुर को भले ही मिडल से उच्च विद्यालय का दर्जा दे दिया गया है लेकिन बच्चों को बैठने के लिए बनाया गया भवन दो वर्ष बीत जाने के बावजूद अधूरा पड़ा है। भवन का निर्माण करीब 3 लाख रुपये में किया गया है लेकिन भवन के चारों ओर न तो दीवारें दी गई हैं और न ही खिड़कियां व दरवाजे ही लग पाये हैं। लोगों का कहना है कि कोविड-19 के कारण पहले ही बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई है और 15 अक्तूबर के बाद यदि स्कूल खुलते भी हैं तो बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि कक्षा 6 से दसवीं तक के विद्यार्थियों के लिए मात्र 3 कमरे हैं।
हालांकि स्कूल में 6 कमरे हैं लेकिन इनमें से एक कमरा मुख्याध्यापक के लिए, एक स्टाफ के लिए और एक कमरा स्टोर के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। अन्य तीन कमरों में 5 कक्षाओं के बच्चों को बिठाया जाता है। उल्लेखनीय है कि 2017 में सूरजपुर स्कूल का दर्जा बढ़ाकर मैट्रिक तक कर दिया गया था लेकिन सुविधाएं अभी भी मिडल स्तर की ही हैं। बताया जाता है कि 2018 में स्कूल भवन के लिए 3 लाख 15 हजार स्वीकृत हुए थे। दो वर्ष बीत जाने के बावजूद बनाये गये हाल के चारों ओर न तो दीवारें हैं और न ही खिड़कियां व दरवाजे ही लग पाये हैं। उधर महलोग रियासत के वारिस खुर्मिन्दर सिसोदिया ने बताया कि महलोग रियासत के सबसे पुराने प्राइमरी स्कूल को 1903 में उनके पूर्वजों द्वारा खोला गया था और उन्होंने स्कूल के लिए 30 बीघा जमीन दान की थी। उन्होंने मांग की कि इस स्कूल को धरोहर स्कूल का दर्जा देकर इसका संरक्षण किया जाए।
क्या कहती है पंचायत
ग्राम पंचायत सूरजपुर के प्रधान मनमोहन कौंडल, बीडीसी सलमा बेगम, वार्ड पंच रेशमा ठाकुर ने शिक्षा मंत्री व विधायक परमजीत सिंह पम्मी से मांग की है कि स्कूल के निर्माणाधीन हाल के लिए बजट का प्रावधान करवाया जाए क्योंकि चारदीवारी न होने के कारण आवारा पशु स्कूल परिसर में घुस जाते हैं। कमरों की छतों से पलस्तर भी गिर रहा है। इनकी भी शीघ्र मरम्मत करवाई जाए।