शिमला, 15 दिसंबर (निस)
नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने हिमाचल प्रदेश सरकार के आर्थिक प्रबंधनों पर सवाल खड़े किए हैं। खासतौर पर राजकोषीय उत्तरदायित्व बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून के दायरे से अधिक राजकोषीय घाटा होने को लेकर कैग ने सवाल उठाए हैं। साथ ही एफआरबीएम कानून में 14वें वित्तायोग की सिफारिशों के मुताबिक संशोधन न करने को लेकर भी कैग ने अपनी रिपोर्ट में सवाल खड़ा किया है। यही नहीं, कैग ने 2019-20 में प्रदेश सरकार की लोक ऋण दायित्व और इसके ब्याज के भुगतान का खुलासा करते हुए कहा कि यह रकम 62234 करोड़ रुपए होगी। इसमें 40572 करोड़ के मूलधन और 21662 करोड़ रुपए की ब्याज राशि शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार को ब्याज व मूलधन के भुगतान के लिए 2024-25 तक 6207 करोड़ रुपए हर साल मूलधन और ब्याज के रूप में देने होंगे।
शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में पेश की गई कैग की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में प्रदेश का राजकोषीय घाटा 5597 करोड़ रुपए दर्ज किया गया। 14वें वित्तायोग तथा एफआरबीएम अधिनियम के मुताबिक राजकोषीय घाटा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 3 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन 2019-20 में यह घाटा जीडीपी का 3.38 फीसदी दर्ज किया गया।
राजस्व प्राप्ति 204 करोड़ घटी
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश की राजस्व प्राप्ति 2019-20 में इससे पूर्व वित्त वर्ष के मुकाबले 204.94 करोड़ रुपये कम रही। विधानसभा में बुधवार को पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की कुल राजस्व प्राप्ति 2019-20 में 30,745.36 करोड़ रुपये रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष 2018-19 में 30,950.28 करोड़ रुपये थी। रिपोर्ट मुख्यमंत्री जयराम रमेश ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सदन के पटल पर रखी। इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में राजस्व 204.92 करोड़ रुपये कम रहा। रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2020 की स्थिति के मुताबिक सार्वजनिक कर्ज और उस पर ब्याज 62,234 करोड़ रुपये पहुंच गया। इसमें मूल राशि 40,572 करोड़ रुपये जबकि ब्याज 21,662 करोड़ रुपये है। यह बताता है कि अगले पांच साल के दौरान 2024-25 तक सार्वजनिक कर्ज और ब्याज की अदायगी सालाना 6,207 करोड़ रुपये होगी। कैग ने कहा कि राज्य की वित्तीय देनदारी 2019-20 में 14.57 प्रतिशत बढ़कर 62,212 करोड़ रुपये पहुंच गयी। सरकार का आंतरिक कर्ज 2019-20 में 11.78 प्रतिशत बढ़कर 39,528 करोड़ रुपये रहा जो 2018-19 में 35,363 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान राज्य का कुल व्यय 5.42 प्रतिशत बढ़कर 36,362 करोड़ रुपये रहा। रिपोर्ट के अनुसार, आलोच्य वित्त वर्ष में राजस्व प्राप्ति में 2018-19 के मुकाबले 0.67 प्रतिशत की कमी आयी। वहीं 2015-16 के मुकाबले यह 31.37 प्रतिशत कम है। कुल 30,745.36 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति में 33 प्रतिशत योगदान कर राजस्व और गैर-कर राजस्व का रहा। शेष 67 प्रतिशत हिस्सा केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी और सहायता अनुदान के रूप में प्रदेश को प्राप्त हुआ।
हिमाचल के 12 निगम एवं बोर्ड घाटे में
हिमाचल प्रदेश के 12 निगम एवं बोर्ड इस समय घाटे में चल रहे हैं। इनमें सबसे अधिक हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड को 1,535.06 करोड़ रुपए का घाटा दर्शाया गया है। इसके अलावा एच.आर.टी.सी. को 1,387.28 करोड़ रुपए व वित्त निगम को 166.56 करोड़ रुपए का घाटा आंका गया है। इसके अलावा एच.पी.एम.सी. का घाटा 87.77 करोड़, एग्रो इंडस्ट्रीयल पैकेजिंग का 78.23 करोड़, वन निगम का 97.45 करोड़, पर्यटन विकास निगम का 22.08 करोड़, हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम सीमित 15.24 करोड़, एग्रो इंडस्ट्री 11.29 करोड़, पॉवर ट्रांसमिशन लिमिटेड का 53.06 करोड़, एच.पी. वर्सेटेड मिल्ज लिमिटेड का 5.44 करोड़, अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम 4.77 करोड़ के घाटे में है। विधानसभा में वर्ष, 2019-20 की कैग रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र आज अनिश्चिकाल के लिए स्थगित हो गया। सत्र के दौरान 28 घंटे 30 मिनट चर्चा हुई। इस दौरान 281 तारांकित और 138 अतारांकित सवाल पूछे गए। वहीं पांच सरकारी विधेयकों को सदन में पारित किया गया। विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि सत्र के दौरान नियम 61 के तहत एक, नियम 62 के तहत 5, नियम 130 के तहत 7, नियम 324 के तहत 14 और नियम 101 के तहत 3 गैर सरकारी संकल्पों पर चर्चा हुई। सत्र के दौरान जहां तीन नए विधायकों का परिचय हुआ, वहीं दर्शकदीर्घा में 1500 से अधिक स्कूली विद्यार्थियों ने विधानसभा की कार्यवाही देखी। विधानसभा सत्र के समापन अवसर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हाल ही में संपन्न उपचुनावों के नतीजों को भाजपा के लिए सही समय पर अलार्म करार दिया और कहा कि इससे अपनी गल्तियां सुधारने का मौका मिल गया। उन्होंने उम्मीद जताई कि सब ठीक होगा, अच्छा होगा और बेहतर होगा, क्योंकि भाजपा के पास प्रभावी ढंग से काम करने के 10 माह बाकी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्मशाला में मौजूदा सरकार का यह अंतिम सत्र है और अगली बार विधानसभा चुनावों के बाद ही सत्र होगा। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री के सदन में पहुंचने को विपक्ष की ताकत करार दिया और कहा कि कुछ लोगों को इसी ताकत के चलते काशी से वापस आना पड़ जाता है।