शिमला, 18 फरवरी (हप्र)
हिमाचल प्रदेश में बीते साल आई भयानक प्राकृतिक आपदा के बाद सुक्खू सरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। जलवायु परिवर्तन के चलते राज्य में बीते साल हुई भारी बारिश तथा बेमौसमी बर्फबारी को देखते हुए सरकार ने वर्षा जल संग्रहण के अलावा स्नो हार्वेस्टिंग को बड़े पैमाने पर करने की योजना बनाई है। योजना का खाका खींचने के बाद सरकार ने 1269.29 करोड़ की योजना का प्रस्ताव केंद्र की मंजूरी को भेजा है। योजना के तहत किन्नौर को छोड़ प्रदेश के बाकी सभी जिलों को शामिल किया गया है।
राज्य के पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया है और केंद्र सरकार को वित्त पोषण के लिए भेजा है। प्रदेश सरकार ने केन्द्र को लिखा है कि वह किसी बाह्य वित्त पोषित एजेंसी के माध्यम से इस परियोजना को सिरे चढ़ाने के लिए 1269.29 करोड़ रुपए का प्रावधान करे ताकि हिमाचल प्रदेश में वर्षा जल का संग्रहण हो सके। अभी तक केन्द्र सरकार की तरफ से इसपर कोई जवाब नहीं आया है।
1519 स्नो हारवेस्टिंग साइट्स को विकसित करने की योजना
प्रोजेक्ट के तहत 1519 स्नो हारवेस्टिंग साइट्स को विकसित करने की योजना है। इसके साथ 461 स्थानों पर वर्षा जल संग्रहण ढांचों को विकसित करने का भी प्रस्ताव है। इसके अलावा 194 कुओं की मरम्मत व री-स्ट्रक्चरिंग का प्रपोजल भी इसमें शामिल किया गया है। इसके अलावा प्रोजक्ट में 145 आइस स्तूपा या स्नो ब्रिज और 244 स्नो पिट्स का भी प्रस्ताव है। इनकी कुल क्षमता 250.818 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी के संग्रहण की है। माना जा रहा है कि यदि इस प्रोजेक्ट को लागू किया जाता है तो इन सभी से 9242.84 हैक्टेयर भू-भाग को सिंचित किया जा सकता है। इससे किसानों को बेहद ज्यादा फायदा मिलेगा और सरकार पर भी ज्यादा दवाब नहीं रहेगा। इस प्रोजेक्ट से कई स्थानों पर भूमिगत जल की क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी।
नाबार्ड को भी भेजी डीपीआर : परियोजना को लेकर बनाई गई डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट जो कि वर्षा जल संग्रहण पर आधारित है, उसे विधायक प्राथमिकता योजना के तहत नाबार्ड को भी भेजा गया है। पूर्व में इस दिशा में किए गए कार्यों के मुताबिक आरआईडीएफ में 161.43 करोड़ रुपए की 45 रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजनाओं की मंजूरी भी हुई है जिसमें से 18 स्कीमों को पूरा कर दिया गया है। शेष पर अभी कार्य चल रहा है।