ज्ञान ठाकुर/निस
शिमला, 23 दिसंबर
हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ और बढ़ने वाला है। राज्य की जयराम ठाकुर सरकार अपने रोजमर्रा के खर्च चलाने के लिये वर्ष 2022 की शुरुआत में ही एक हजार करोड़ रुपये का कर्ज उठाएगी। केन्द्र सरकार ने ये कर्ज लेने के लिये हरी झंडी दे दी है। केंद्र की मंजूरी मिलने के बाद जयराम सरकार 500-500 करोड़ के ऋण दो किश्तों में ये कर्ज उठाएगी। इसके लिये सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार ये कर्ज 12 साल की अवधि के लिये उठाएगी।
सूत्रों के अनुसार ऋण की रकम पर ब्याज साल में जून व दिसंबर माह में छमाही आधार पर चुकता करना होगा। एक हजार करोड़ की ऋण की इस रकम के साथ प्रदेश के खजाने पर कर्ज का कुल बोझ करीब 64 हजार करोड़ होगा। सनद रहे कि बीते दिनों धर्मशाला के तपोवन में हुए विधानसभा के शीत कालीन सत्र में पेश की गई कैग की 2019-20 की रिपोर्ट में प्रदेश पर 62 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज का बोझ का खुलासा किया गया था। साथ ही इसी सत्र में कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह के सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि बीते तीन सालों में सरकार ने 16 हजार करोड़ से अधिक के ऋण लिए हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के आर्थिक साधन सीमित हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद कर्मचारियों को छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत नए वेतन मान देना सरकार की बाध्यता है। साथ ही महंगाई भत्ते की किश्त का अतिरिक्त बोझ भी खजाने पर पड़ा है। नए वेतन मान देने के बाद प्रदेश के बजट का 50 फीसद कर्मचारियों के वेतन व भत्तों के साथ साथ रिटायर कर्मचारियों के पेंशन के भुगतान पर होगा। लिहाजा विकास कार्यों को जारी रखने के मकसद से सरकार एक हजार करोड़ का ऋण लेने को विवश हुई है।
कोरोना ने बीते साल प्रदेश की आर्थिकी को झकझोर कर रख दिया था। पर्यटन व परिवहन क्षेत्र पर कोरोना की सर्वाधिक मार पड़ी। हालांकि चालू माली साल में प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार थोड़ी थमी है, बावजूद इसके अर्थव्यवस्था पूरी तरह पटरी पर नहीं लौटी है। हाल ही में सरकार ने कर्मचारियों को फरवरी माह में मिलने वाले जनवरी माह का वेतन नए वेतनमान के तहत देने का फैसला लिया है। माना जा रहा है कि आगामी माली साल तक नए वेतन मान के तहत कर्मचारियों को वेतन के भुगतान के साथ साथ विकास कार्यों की रफ्तार को बनाए रखने के मद्देनजर सरकार ने ऋण लेने का फैसला लिया है।