शिमला, 14 दिसंबर (निस)
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन भी विपक्षी दल कांग्रेस का हंगामा और वॉकआउट का सिलसिला जारी रहा। कांग्रेस ने आज प्रदेश सरकार द्वारा एडीबी वित्त पोषित पर्यटन विकास निगम और पर्यटन विभाग की संपत्तियों को बेचने के मुद्दे पर सदन में पहले जोरदार हंगामा किया और बाद में सदन से वॉकआउट कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने प्रश्नकाल समाप्त होते ही प्वाइंट आफ आर्डर के माध्यम से पर्यटन से जुड़ी संपत्तियों को बेचने का मुद्दा उठाया। अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार पर्यटन विकास निगम और पर्यटन विभाग की 200 करोड़ रुपए की संपत्तियों को कौड़ियों के भाव नीलाम कर रही है। इनमें मंडी स्थित कंवेंशन सेंटर, जंजैहली स्थित सांस्कृतिक केंद्र और सोलन के क्यारीघाट स्थित पर्यटन विकास निगम का कंवेंशन सेंटर शामिल है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मंडी में बनाए गए कंवेंशन सेंटर पर 41 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च हुई है। इसी तरह जंजैहली में 27 करोड़ रुपए की लागत से सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को बेचना आरंभ से ही भाजपा के ऐजेंडे में रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इन संपत्तियों को बड़ी मुश्किल से एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर बनाया गया है और अब इन्हें चहेतों को कौड़ियों के भाव सौंपा जा रहा है। मुकेश अग्निहोत्री के यह मुद्दा उठाते ही सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ओर से भारी शोरगुल आरंभ हो गया। हंगामे के बीच शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज और ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने सरकार के बचाव में दलीलें दी। दूसरी ओर विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर पर्यटन से जुड़ी संपत्तियों को बेचने के मुद्दे पर काफी देर तक कागज लहराते रहे। इसी दौरान पूरा विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोंबीच पहुंच गया और कुछ देर हंगामा करने के बाद सदन से वॉकआउट कर गया।
विपक्ष के हंगामे के बीच ही जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने एडीबी से कर्ज लेकर बनाई गई संपत्तियों को लीज पर देने के मुद्दे पर सरकार की ओर से एक वक्तव्य दिया। हालांकि विपक्ष के हंगामे के बीच कुछ भी सुनाई नहीं दिया।
लोकायुक्त संशोधन विधेयक पारित
हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त संशोधन विधेयक, 2021 मंगलवार को यहां तपोवन में राज्य विधानसभा में ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। विपक्षी दल कांग्रेस और माकपा के सदन से बहिर्गमन करने के बीच यह विधेयक पारित किया गया। कांग्रेस और माकपा ने इस प्रस्तावित संशोधन को वापस लेने या इसे चयन समिति के पास भेजने की मांग की। इस विधेयक के पारित होने के बाद हाईकोर्ट के जज को राज्य में लोकायुक्त भी नियुक्त किया जा सकता है जबकि पहले हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या सुप्रीम कोर्ट के जज को ही लोकायुक्त नियुक्त करने का प्रावधान था। विपक्षी दल कांग्रेस और माकपा के इकलौते विधायक राकेश सिंह कानून में संशोधन के खिलाफ सदन से बहिर्गमन कर गए। इससे पहले विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, जगत सिंह नेगी, आशा कुमारी, हर्षवर्धन चौहान समेत कांग्रेस विधायकों और माकपा के सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के जज को लोकायुक्त के तौर पर नियुक्ति के साथ मुख्यमंत्री के पद को कमतर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि लोकायुक्त मुख्यमंत्री के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर सकता है। वहीं, विधायी मामलों के मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि मौजूदा प्रावधानों के कारण लोकायुक्त के पद पर नियुक्ति करना मुश्किल हो गया है क्योंकि कुछ ही लोग योग्यता मानदंड को पूरा कर पाते हैं।
विपक्ष का वॉकआउट सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए
संसदीय कार्य व शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने विपक्ष के वॉकआउट की निंदा करते हुए कहा कि कांग्रेस सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए वॉकआउट करती है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने वॉकआउट को परंपरा बना लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष हर रोज वॉकआउट कर प्रदेश की जनता के पैसे की बर्बादी कर रहा है। उन्होंने कहा कि असल में आज कांग्रेस विधायकों को पार्टी की एक रैली में जाना था, इसलिए उसने वॉकआउट किया। सुरेश भारद्वाज ने पर्यटन विकास निगम और पर्यटन विभाग की संपत्तियों को लीज पर देने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि सरकारी संपत्तियों की निजीकरण कांग्रेस का ही नीति रही है क्योंकि बीओटी कांग्रेस ने ही शुरू किया था।