शिमला, 27 जुलाई (निस)
हिमाचल प्रदेश को जल्द ही पहला संस्कृत विश्वविद्यालय मिल सकता है। प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार राज्य में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने पर गंभीरता से विचार कर रही है और इसे शीघ्र ही मूर्तरूप दिया जा सकता है। हिमाचल में संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा हासिल है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज शिमला में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा अपनी शब्दावली, साहित्य, विचारों, भावों और मूल्यों में समृद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा अपनी प्राचीनता के कारण ग्रीक भाषा की तुलना में अधिक परिपूर्ण, लैटिन भाषा की तुलना में अधिक समृद्ध और इन दोनों की तुलना में अधिक परिष्कृत है। उन्होंने कहा कि भारत के कुछ विद्यालयों में संस्कृत भाषा और पश्चिमी देशों के कुछ स्थानों में भी इसकी शिक्षा प्रदान की जाती है। भारत के वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के साथ ही विश्व में भी संस्कृत भाषा के प्रति रुझान बढ़ा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि संस्कृत भाषा को कम्प्यूटर साफ्टवेयर के लिए भी सबसे अच्छी भाषा माना जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने के लिए भूमि चिन्हित की जा रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत विद्वानों और संस्कृत अकादमी को इस भाषा को सामान्य भाषा बनाने के लिए सुझावों के साथ आगे आना चाहिए ताकि छात्रों को इस भाषा का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया जा सके। शिक्षा मंत्री और संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष सुरेश भारद्धाज ने कहा कि संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देने वाला हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड के बाद दूसरा राज्य हैं।