शिमला, 14 नवंबर(हप्र)
हिमाचल सरकार मुख्य संसदीय सचिव, सीपीएस की नियुक्ति रद्द करने के हाई कोर्ट के फैसले को लेकर कानूनी विकल्प तलाशने में जुट गई है। कानूनविदों की राय के बाद सरकार इस मामले में अगला कदम उठाएगी। पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में बृहस्पतिवार को ये बात कही। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के निर्णय का पूरी तरह से अध्ययन करने के बाद वह प्रतिक्रिया देंगे। वह इस बारे अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों से चर्चा करेंगे। इस दौरान वर्ष 2006 के निरस्त किए गए अधिनियम को लेकर की गई टिप्पणी का भी गहनता से अध्ययन किया जाएगा। सुक्खू ने अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले में आए व्यापारियों की तरफ से इंडो-तिब्बत ट्रेड को फिर से शुरू करने के मामले को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा कि जब इस विषय को उनसे उठाया जाएगा, तो इसके विकल्प पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को व्यापार के लिए खोलना केंद्र सरकार का विषय है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों द्वारा उनके समक्ष इस मामले को उठाए जाने पर वह इसे उचित मंच पर उठाएंगे।
मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं के महाराष्ट्र दौरे को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनका झूठ बेनकाब हो रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को क्या यह पता नहीं है कि प्रदेश मंत्रिमंडल की पहली बैठक में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल करने पर अमल हो चुका है। इसके अलावा प्रदेश में महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह देने का क्रम शुरू हो गया है।
सीपीएस पर खर्च हुए पैसे वसूलने राजभवन पहुंची भाजपा
मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों को हाई कोर्ट द्वारा निरस्त किए जाने के बाद भाजपा इस मुद्दे पर सरकार पर लगातार हमलावर बनी हुई है। इसी कड़ी में आज प्रदेश भाजपा के नेता राज भवन पहुंचे और राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से भेंट कर मुख्य संसदीय सचिवों पर हुए खर्च को वसूल कर इसे सरकार के खाते में जमा करने की मांग की। भाजपा नेताओं ने पार्टी उपाध्यक्ष एवं लोकसभा सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज के नेतृत्व में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से भेंट की। इस दौरान उनके साथ प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कटवाल, डॉ. राजीव सहजल, प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, प्रवक्ता चेतन ब्राग़टा और कोषाध्यक्ष कमल सूद उपस्थित रहे।