ज्ञान ठाकुर/हप्र
शिमला, 26 जून
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार द्वारा 16वें वित्तायोग के सामने प्रस्तुत की गई राज्य की आर्थिक स्थिति की तस्वीर में भयवाह आंकड़े सामने आए हैं। वित्तायोग को दी गई प्रस्तुति के मुताबिक अगले 5 सालों में राज्य के कर्मचारियों की पेंशन और प्रदेश सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज के ब्याज का भुगतान सरकार के खजाने को खाली कर देगा। यह खर्च दोगुनी रफ़्तार से बढ़ेगा। इसका कारण है सुक्खू सरकार द्वारा 1.36 लाख एनपीएस कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत लाना। हिमाचल में वर्तमान में पेंशन पर करीब दस हजार करोड़ वार्षिक खर्च आता है, जो 16वें वित्तायोग की अवधि पूरी हाेने के अंतिम वर्ष में 20 हजार करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। कुल मिलाकर सरकार को 2031 तक पेंशनरों की पेंशन देने के लिए 89656 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।
प्रदेश सरकार ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों की बढ़ती संख्या और पेंशन पर होने वाले खर्च का विषय वित्तायोग के अध्यक्ष डाॅ. अरविंद पनगढ़िया और टीम के सामने रखा है। इसमें पेंशन का खर्च बढ़ने के पीछे तीन कारण बताए गए हैं। इनमें सेवानिवृत्ति के बढ़ते लाभों का हवाला दिया गया है। दूसरा, वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से कर्मचारियों की पेंशन में आशातीत बदलाव आया है। इसी तरह महंगाई भत्ते से पेंशन में होने वाली वृद्धि काे तीसरा कारण बताया है।
कांग्रेस के सत्ता में आने के समय प्रदेश सरकार में पेंशनरों की संख्या 1.91 लाख थी। कर्मचारियों के लगातार सेवानिवृत्त होते रहने के कारण कर्मचारियों की संख्या घट रही थी। सामान्य तौर पर हर साल दस हजार से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त होते हैं। लेकिन 1.36 लाख एनपीएस कर्मचारियों को ओपीएस में शामिल किए जाने से पेंशनरों की संख्या साल-दर-साल बढ़ती चली जाएगी। वर्ष 2003 से लेकर सरकारी क्षेत्र में एनपीएस पेंशन प्राप्त करने वाले कर्मचारी आ रहे थे, इनके नियमित होने से पेंशन का अतिरिक्त भार बढ़ा है।
16वां वित्तायोग वर्ष 2026 से शुरू होगा। उस समय पहले साल पेंशनरों को पेंशन का भुगतान करने के लिए सरकार को 16823 करोड़ रुपये की जरूरत रहेगी, तभी पेंशनरों के बैंक खातों में पेंशन पहुंचेगी। पांच साल के अंत में पेंशन देने के लिए वार्षिक आर्थिक बोझ करीब बीस हजार करोड़ तक पहुंच जाएगा। प्रदेश सरकार को पेंशनरों की पेंशन देने के लिए वर्ष 2031 में 89656 करोड़ रुपये चाहिए होंगे।
कर्ज को लेकर 16वें वित्तायोग के सामने प्रस्तुति की गई तस्वीर के अनुसार ऋण के मामले में वस्तुस्थिति यह है कि इस समय राज्य पर कर्ज का बोझ करीब 88 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। जब भाजपा सत्ता छोड़कर गई थी तो ऋण 69 हजार करोड़ रुपये था और उसके बाद कांग्रेस सरकार 19 हजार करोड़ रुपये का ऋण ले चुकी है। कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए सरकार को हर साल मोटी धनराशि की आवश्यकता है। 16वें वित्तायोग की पूरी अवधि के दौरान 44617 करोड़ रुपये की आवश्यकता केवल ब्याज चुकाने के लिये होगी। सरकार ने वित्तायोग से इस स्थिति को देखते हुए उदारता बरतने का आग्रह किया है।