शिमला, 1 नवंबर(हप्र)
हिमाचल सरकार ने गौण खनिजों के खनन व परिवहन को लेकर नियमों में संशोधन कर दिया है। सरकार ने यह संशोधन खनन माफिया पर नकेल कसने के मकसद से किया है। बीते मार्च माह में खनन नीति में संशोधन के बाद अब सरकार ने नियमों में संशोधन किया है। नियमों में संशोधन का मकसद न सिर्फ अवैध खनन पर नकेल कसना, बल्कि खनन गतिविधियों से राजस्व को बढ़ाना भी है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी खनन नियमों में संशोधन के पीछे एक वजह रही है।
नियमों में संशोधन के बाद सरकार ने पट्टा धारकों के लिए गौण खनिजों के भंडारण अथवा व्यापार की सालाना सीमा तय कर दी है। संशोधन के बाद खनन पट्टा धारक 500 मीट्रिक टन से अधिक गौण खनिजों का भंडारण अथवा कारोबार नहीं कर सकेगा। खनन पट्टे का नवीनीकरण उद्योग विभाग के निदेशालय में तैनात सक्षम अधिकारी करेंगे। पट्टा धारक को लीज की अवधि खत्म होने से छह माह पहले इसके नवीकरण के लिए आवेदन करना होगा। नवीकरण में आवेदन के लिए देरी होने पर उद्योग निदेशालय लिखित में आवेदन में विलंब की वजह पूछेगा।
अवैध खनन करते पाए जाने अथवा अवैध खनन के जरिए निकाले गए गौण खनिजों के परिवहन में पकड़े जाने की स्थिति में 2 साल कारावास तथा 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा होगी। रिवर बेड से दो मीटर नीचे खुदाई करने की अनुमति नहीं होगी। मशीनों से खुदाई करने की अनुमति के लिए भी संबंधित विभाग अथवा सरकार से अनुमति लेनी होगी। कौन से मशीन से पट्टा धारक खुदाई कर सकता है यह भी नियमों में तय किया गया है। सरकारी भूमि पर अधिकतम 10 साल तथा निजी भूमि पर एक साल के लिए खनन का पट्टा मिलेगा। माना जा रहा है कि उद्योग विभाग की इस तमाम कवायद से प्रदेश में अवैध खनन पर रोक तो लगेगी ही, सरकारी राजस्व में भी इजाफा होगा।
क्या होते हैं गौण खनिज
गौण खनिज, मुख्य खनिज से अलग खनिज को कहते हैं। गौण खनिजों में रेत पत्थर, बजरी, चूना पत्थर, इमारती पत्थर इत्यादि शामिल हैं। यह खनिज, नियमों की अनुसूची 1-ए में शामिल होता है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार की सलाह से गौण खनिजों को अधिसूचित करती है।