कोरोना की बढ़ती रफ्तार ने मुम्बई से झारखंड तक कोहराम मचा रखा है। अस्पताल में खाली बेड नहीं हैं तो कहीं ऑक्सीजन और आवश्यक दवाइयों की कमी देखी जा रही है। प्रधानमंत्री द्वारा कुंभ मेले को प्रतीकात्मक रूप में मनाने का फैसला सही है लेकिन यह फैसला 15 दिन पहले भी लिया जा सकता था। किसान आंदोलन ने आम आदमी के दिमाग से कोराना का खौफ निकाल दिया था। वैक्सीन आने के बाद तो हमारा विश्वास और भी मजबूत हो गया कि कोराना हमारा क्या कर लेगा? बची-खुची कसर देश के निर्वाचन आयोग और नेताओं ने पूरी कर दी। मेडिकल साइंस लगातार कह रही है कि वैक्सीन के बाद भी सावधानी बरतें।
रमाकांत, रुड़की, उत्तराखंड
लापरवाही पड़ी भारी
देश में कोरोना की दूसरी लहर ने रफ्तार पकड़ ली है। लेकिन लोगों ने लापरवाही नहीं छोड़ी, बाजार और अन्य स्थानों पर भीड़ करने से परहेज नहीं किया, इसलिए सरकारों को मजबूर होकर दिल्ली और अन्य स्थानों पर कुछ दिनों के लिए लॉकडाउन लगाना पड़ा है। अगर अभी भी लापरवाही नहीं छोड़ी तो यह वैश्विक महामारी देश में कभी नहीं हारेगी। देश की आर्थिक व्यवस्था का भी हाल बेहाल कर देगी।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
भविष्य से खिलवाड़
दसवीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला कहीं विद्यार्थियों को पढ़ाई के प्रति कमजोर न कर दे। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की ओर से विद्यार्थियों की परीक्षाएं ऑनलाइन रूप में ली जा रही हैं तो फिर स्कूली विद्यार्थियों की परीक्षाएं ऑनलाइन रूप से लेने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए गए। बिना परीक्षा लिए अगली कक्षा में कर देने से विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
लवनीत वशिष्ठ, मोरिंडा