शारा
जी हां, ‘सवेरे वाली गाड़ी से चले जाएंगे’—इसी फिल्म का गीत है जो फिल्म में शम्मी कपूर ने गाया है। इस गीत ने सत्तर के दशक के शुरुआती दिनों में खूब श्रोता फिल्म हॉल की ओर खींचे थे। यह फिल्म 1969 में रिलीज हुई थी और यह वह समय था जब शम्मी कपूर अपने लटके झटकों की वजह से इंडस्ट्री में खूब छाये हुए थे। उनके साथ थीं नूतन। कहानी तो ठीक-ठीक ही थी लेकिन बड़े सितारों की उपस्थिति तथा संगीत ने इसे हिट करा ही दिया। इस फिल्म में प्रेम चोपड़ा भी थे। आज का फ्लैशबैक प्रेम चोपड़ा के नाम। जी हां, वही प्रेम चोपड़ा जिन्होंने अपने जीवन के 60 साल फिल्मों को दे दिये। उन्होंने अब तक कुल 380 फिल्मों में काम किया। बहुत कम लोग जानते हैं कि प्रेम चोपड़ा राजकपूर के रिश्तेदार थे।
दरअसल राजकपूर की धर्मपत्नी कृष्णा की जो छोटी बहन है, वह प्रेम चोपड़ा को ब्याही हुई हैं। मतलब प्रेम चोपड़ा ऋषि कपूर, रणधीर तथा राजीव कपूर के मौसा लगे और प्रेमनाथ तथा राजेंद्र नाथ के जीजा लगे। प्रेम चोपड़ा की पत्नी का नाम है उमा चोपड़ा। और प्रेम चोपड़ा को यह रिश्ता फिल्म के प्रोड्यूसर लेख टंडन ने सुझाया था। एक अन्य रिश्ते के बारे में भी बता दूं कि प्रेम चोपड़ा लगान फेम शर्मन जोशी के ससुर लगते हैं। उनकी सबसे छोटी बेटी प्रेरणा शर्मन को ब्याही हुई हैं। एक अन्य बेटी रिकिता फिल्म पब्लिसिटी डिज़ाइनर राहुल नन्दा को ब्याही हुई हैं। राहुल नंदा रूमानी कहानियां परोसने वाले गुलशन नंदा के बेटे हैं। गुलशन नंदा को आधुनिक पीढ़ी भले ही कम जानती हो, लेकिन गुलशन नंदा साठ और सत्तर के दशक के मिल्ज एंड बून थे। उन्होंने युवामन को बहुतेरे रूमानी सपने दिये, खासकर लड़कियां उनकी लेखनी की दीवानी थीं। प्रेम चोपड़ा की तीसरी बेटी पुनीता टीवी एक्टर विकास भल्ला को ब्याही हुई हैं। वह एक अच्छे संगीतकार भी हैं। प्रेम चोपड़ा ने पंजाबी फिल्मों में भी काम किया क्योंकि वह मूल रूप से पंजाबी थे और देश विभाजन के बाद लाहौर से शिमला आये थे। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से ही अपनी स्नातक की डिग्री ली थी। जब उनकी मां का कैंसर से स्वर्गवास हुआ तो चार भाइयों व एक नौ साल की बहन के साथ वह भी अनाथ हुए थे। बाद में उन्होंने परिवार का भरण-पोषण किया। जीविका के लिए उन्होंने अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में भी नौकरी की और साथ-साथ में अभिनय की सनक को भी बरकरार रखा। प्रेम चोपड़ा ऐसे अकेले विलेन थे जिन्होंने एक साथ 19 हिट फिल्में दीं। इन फिल्मों में उनके विपरीत राजेश खन्ना थे। जब फिल्मों के हिट होने की गारंटी हीरोइन नहीं होती थीं बल्कि ये दोनों चेहरे ही होते थे। दर्शकों के जेहन में जितने राजेश खन्ना छाये थे, वैसे ही प्रेम चोपड़ा के संवाद दिलोदिमाग पर चस्पां थे। ‘प्रेम नाम है मेरा प्रेम चोपड़ा,’ कटी पतंग का वह डायलॉग याद करिये ‘प्रेम आग लगाना जानता है तो बुझाना भी जानता है।’ वही प्रेम चोपड़ा आलोच्य फिल्म लाट साहब में भी हैं। यह फिल्म इंडस्ट्री का पहला विलेन है जो खूबसूरती में हीरो को भी मात दे जाता है। तभी तो मनोज ने उन्हें शहीद फिल्म में हीरो का रोल दिया था। वह पहले-पहले हीरो का ही रोल अदा करते थे लेकिन बाकी विलेन की तुलना में शक्लो-सूरत अच्छी होने के कारण उन्होंने विलेन के रोल करके ही लोकप्रियता हासिल की। लाट साहब फिल्म का बैकग्राउंड ग्राम्य जीवन का है। इसीलिए शम्मी कपूर ने अपनी जानी-पहचानी उछल-कूद भी ग्रामीण वेशभूषा में ही की है। पेशे से लकड़हारा जुगनू कश्मीर के एक गांव में रोजी-रोटी कमाता है। वह अपनी विधवा मां के साथ रहता है। मां को लगता है कि उसका बेटा मारा जाएगा और वह उसके पास दशहरे तक ही है। इसलिए वह उसकी सलामती हेतु हमेशा ही दुआ करती है। साथ ही जुगनू को आगाह भी करती है कि वह अपना ध्यान रखे। लेकिन मां के खदशे के उलट जुगनू लड़ाई-झगड़े में संलिप्त रहता है। वह गांव के लोगों को नरभक्षी तेंदुए से भी निजात दिलाता है। उसने हर जगह पंगे ले रखे हैं। वह अपने मालिक की बेटी निक्की (नूतन) से इश्क करता है। उसने निक्की की दो बार जान भी बचाई थी। निक्की भी जुगनू को प्यार करने लगती है ताकि अपने मां-बाप और एस्टेट मैनेजर प्रेम को यह जता सके वह प्रेम से नहीं, बल्कि जुगनू से प्यार करती है। दरअसल, उसके माता-पिता चाहते हैं कि वह प्रेम से शादी करे। अब यह कैसे मुमकिन होगा? इसके साथ ही कहानी में पेंच आ जाता है। निक्की के पिता अपंग हैं और ह्वीलचेयर पर आते-जाते हैं। आगे क्या होगा, पाठकों को फिल्म देखनी होगी।
निर्माण टीम
निर्देशक : हरि वालिया
प्रोड्यूसर : अब्दुल
मूल कहानी : जगदीश कंवल
सिनेमैटोग्राफी : राजेंद्र मैलोन, वीएन रेड्डी
गीत : हसरत जयपुरी, शैलेंद्र
संगीत : शंकर जयकिशन
सितारे : शम्मी कपूर, नूतन, प्रेम चोपड़ा, ओम प्रकाश, मुराद आदि
गीत
तन में अग्नि मन में चुभन : आशा भोसले, मोहम्मद रफी
ऐ चांद जरा छुप जा : आशा भोसले, मोहम्मद रफी
ओ रब्बा खैर : आशा भोसले, मोहम्मद रफी
जाने मेरा दिल किसे ढूंढ़ रहा है : मोहम्मद रफी
दिल ले गयी ले गयी : मोहम्मद रफी
सवेरे वाली गाड़ी से : मोहम्मद रफी, कोरस