शारा
कभी बिग बी और कभी महानायक के नाम से जाने जाने वाले अमिताभ बच्चन आज एक साथ तीन पीढ़ियों के चहेते हैं। आज के बच्चे उन्हें ‘केबीसी’ के होस्ट के तौर पर खूब पसंद कर रहे हैं तो थोड़े बड़े लोगों के लिए वह अब भी यदा-कदा फिल्मों में आ जाते हैं। उससे पहले के लोगों के लिए तो ‘एंग्री यंगमैन’ अमिताभ हैं ही एकदम जुदा कलाकार। शुरुआती कुछ फ्लॉप फिल्में देने वाले अमिताभ का जब दौर चला तो ऐसा चला कि लगातार हिट फिल्में वह देते रहे। दिग्गज निर्माता-निर्देशक प्रकाश मेहरा ने जैसे उन्हें अच्छी तरह पहचान लिया था। जिस तरह कभी मुकेश, शैलेंद्र और शंकर जयकिशन बॉलीवुड में हिट रहे, उसी तरह प्रकाश मेहरा, अमिताभ बच्चन और कल्याणजी आनंदजी का बेहतरीन दौर चला। इसी दौर में आई फिल्म ‘लावारिस।’ लावारिस के अलावा ‘जंजीर’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘खून पसीना’, ‘शराबी’ जैसी कई हिट फिल्में दर्शकों को मिलीं। साल 1981 में रिलीज ‘लावारिस’ फिल्म सुपरडुपर हिट रही। इस फिल्म से अमिताभ को खूब प्रसिद्धि तो मिली ही, आगे चलकर इसी फिल्म में एक खास गीत पर अभिनय और नृत्य से उनकी आलोचना भी हुई। आलोचना भी इस कदर कि उसे चुनावी मुद्दा तक बना दिया गया। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके पुत्र एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर अमिताभ राजनीति में आए। राजीव और अमिताभ मित्र रहे हैं। अमिताभ ने 1984 में इलाहाबाद से चुनाव लड़ा और जीते। उस दौरान इलाहाबाद की गलियों में पोस्टर लगाकर विरोधी पार्टी के नेता उनका मजाक उड़ाते थे। यह पोस्टर ‘लावारिस’ फिल्म के उस गीत का था जिसके बोल थे, ‘मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है।’ इसमें उन्होंने अलग-अलग रूप में नृत्य किया है और महिला का भी रूप धरा। कहते तो यहां तक हैं कि इस गीत में अमिताभ का अभिनय जया बच्चन को भी नहीं भाया। बेशक, इस गाने की वजह से बिग बी को खूब आलोचना झेलनी पड़ी थी, लेकिन यह गीत खूब हिट भी हुआ। इस गीत को आवाज़ भी स्वयं अमिताभ बच्चन ने ही दी थी। अमिताभ से पहले इस गीत को अलका याग्निक ने गाया है। इस गीत के लिए उनका नामांकन सर्वश्रेष्ठ गायिका के फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए हुआ। ‘फ्लैशबैक’ के पाठक जानते ही होंगे कि अमिताभ ने कई गाने गाए हैं। साथ ही उन्होंने अपने पिता एवं मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की कविताओं को कई मंचों पर गुनगुनाया है। बता दें कि हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला उस दौर के युवाओं के सिर चढ़कर बोली। मन्ना डे ने जब इस पूरे संग्रह की हर पंक्ति को एक अलग अंदाज में गाया तो मधुशाला की कैसेट्स घर-घर पहुंच गयी। बातों ही बातों में कहीं से कहीं निकल जाएंगे, अब चलते हैं फिल्म लावारिस की ओर। वह दौर अमिताभ बच्चन का था जब फिल्म लावारिस आई। उस दौरान ज्यादातर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर बिग बी पर आंख बंद करके पैसा लगा रहे थे। यह उनकी अदाकारी का ही कमाल था कि इस फिल्म ने उस दौरान 9 करोड़ रुपए की कमाई थी, आज की बात करें तो यह आंकड़ा डेढ़ सौ करोड़ रुपए से ऊपर पहुंचता है। फिल्म लावारिस की कहानी बहुत दमदार थी, कोई संदेश छोड़ती हुई सी। फिल्म में अमिताभ बच्चन ने हमेशा की तरह सशक्त अभिनय किया है। एक तो दमदार अभिनय, उस पर वैसा ही निर्देशन और सोने पर सुहागा ये कि फिल्म के गीत लाजवाब। याद है न वह गीत जिसके बोल हैं, अपनी तो जैसे तैसे…आज भी गुनगुनाया जाता है। इस गीत को खुद फिल्मकार प्रकाश मेहरा ने लिखा है। कल्याणजी आनंद जी का सुपरहिट संगीत और अमिताभ का अनूठे अंदाज में थिरकन। लावारिस का मतलब हम-आप सब समझते हैं। वह व्यक्ति जिसके मां-बाप का पता नहीं होता। इस फिल्म में अमिताभ ने लावारिस युवक (हीरा) की भूमिका निभाई है। मां-बाप कौन हैं ? इसी गुत्थी को सुलझाने की कहानी है लावारिस। हीरा ऐसा लावारिस युवक है जो बेहतरीन इंसान है। फिल्म का यही संदेश है कि अमीरी, समाज, रिश्तों और संबंधों के बगैर भी कोई बेहतर इंसान हो सकता है। यही तो इंसान का मूल स्वभाव भी होता है कि वह बेहतर हो या बेहतर बनने की दिशा में अग्रसर हो। फिर भी कुछ लोग नहीं होते हैं और फिल्में ऐसा संदेश देने के लिए बनाई जाती हैं। फिल्म के एक गीत के जरिए हीरा संदेश देता है, ‘जब कोई समाज के अपने दायित्व को भूल कर एक नवजात को इस जीवन में यूं ही तड़पने के लिए अकेला छोड़ देता है तो होता है लावारिस का जन्म। लावारिस का जन्म पैदा होते ही पाप हो जाता है। आप अमीर घर में पैदा होकर जितने पाप करो, समाज कुछ नहीं कहता। … आप जैसे वारिस वाले इज्जतदार लोगों की ही देन होते हैं हम जैसे लावारिस लोग, आप गाली देंगे तो वह दुआ जैसी होगी और हम दुआ भी करेंगे तो लोग उसे गाली समझ लेंगे।’ फिल्म लावारिस में अमिताभ बच्चन के अलावा जीनत अमान और राखी ने भी खास भूमिका निभाई। फिल्म की कहानी एक अनाथ के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने माता-पिता की तलाश में समाज की वास्तविकता से लड़ता है। फिल्म की कहानी के मुताबिक हीरा (अमिताभ बचचन) को जन्म से पहले ही उसका पिता बिजनेसमैन रणवीर सिंह (अमजद खान) अस्वीकार कर देता है। खुद को साबित करने की जद्दोजहद है कहानी। विद्या (राखी) फेमस सिंगर होती है जो रणवीर सिंह से प्यार करती है। वह शादी से पहले ही प्रेगनेंट हो जाती है। रणवीर चाहता है कि वह गर्भपात करा दे। विद्या बच्चे को जन्म देना चाहती है। वह रणवीर से संबंध तोड़ देती है और अपने भाई के साथ कहीं चली जाती है जहां वह बच्चे को जन्म देती है। लेकिन उसका भाई नवजात की हत्या करने के लिए किसी को सौंप देता है और विद्या से झूठ बोलता है कि बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था। उधर, जिस गंगू को बच्चे को मारने का जिम्मा दिया जाता है वह बच्चे को पालता है और उसका नाम हीरा रख देता है। एक दिन हीरा गंगू की गंदी लत छुड़ाने के लिए उसकी शराब की बोतल तोड़ देता है और गुस्से में आग बबूला गंगू उसे बताता है कि वह लावारिस है। बाद में हीरा एक फैक्ट्री में काम करने लगता है। उस फैक्ट्री का मालिक रणवीर का कानूनी तौर पर घोषित बेटा महेंद्र होता है। रणवीर अपनी पत्नी के साथ दुखी जीवन जी रहा होता है और उसे लगता है कि विद्या तो मर चुकी होगी। उसी फैक्ट्री में हीरा देखता है कि कर्मचारियों का शोषण हो रहा है और इसके खिलाफ आवाज उठाता है। इस पर महेंद्र गुस्से में आ जाता है। उधर, एक लड़की मोहिनी (जीनत अमान) हीरा के प्यार में पड़ जाती है। इसी दौरान हीरा मिलता है रणवीर से। अब क्या होगा? जिसने फिल्म देखी है, कहानी जानते हैं और जिन्होंने नहीं देखी है, वे एक बार देखेंगे तो उन्हें क्लाइमेक्स अच्छा लगेगा।
निर्माण टीम
निर्माता-निर्देशक : प्रकाश मेहरा
संवाद लेखक : कादर खान
पटकथा : शशि भूषण, दीनदयाल शर्मा, प्रकाश मेहरा
गीत : प्रकाश मेहरा, अंजान
संगीतकार : कल्याणजी-आनंदजी
कलाकार : अमिताभ बच्चन, ज़ीनत अमान, राखी, अमज़द ख़ान, रंजीत, बिन्दू, जीवन, सुरेश ओबरॉय, मुकरी आदि।
गीत
जिसका कोई नहीं उसका
तो : किशोर कुमार और मन्ना डे
कब के बिछड़े हुए : किशोर कुमार, आशा भोसले
मेरे अंगने में तुम्हार क्या काम है : अलका याग्निक और अमिताभ बच्चन
काहे पैसे पे इतना गुरूर करे है : किशोर कुमार
अपनी तो जैसे तैसे : किशोर कुमार