नयी दिल्ली, 17 मई (एजेंसी)
दिल्ली हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने बीबीसी से क्षतिपूर्ति की मांग करने वाली एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई से शुक्रवार को खुद को अलग कर लिया। याचिका में दावा किया गया कि वृतचित्र ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ ने देश की छवि को खराब किया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भारतीय न्यायापालिका के खिलाफ झूठ व मानहानिकारक आरोप लगाये हैं।
जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि वह खुद को अलग कर रहे हैं लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई कारण नहीं दिया। अदालत ने कहा कि याचिका को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के आदेश के अधीन 22 मई को सुनवाई के लिए दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए। हाईकोर्ट ने गुजरात के एनजीओ जस्टिस ऑन ट्रायल द्वारा दाखिल याचिका पर पूर्व में बीबीसी (यूके) और बीबीसी (भारत) को नोटिस जारी किया था। याचिका में कहा गया कि बीबीसी (यूके) ब्रिटेन का राष्ट्रीय प्रसारक है और उसने नया वृत्तचित्र ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ जारी किया है, जिसके दो एपिसोड है और बीबीसी (भारत) उसका स्थानीय संचालन कार्यालय है। याचिका में कहा गया कि जनवरी 2023 में दो एपिसोड प्रसारित किये गये थे। याचिकाकर्ता ने भारत के प्रधानमंत्री, भारत सरकार, गुजरात सरकार और भारत के लोगों की साख और मानहानि की क्षतिपूर्ति के लिए बचावपक्ष से एनजीओ को 10 हजार करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की क्योंकि यह वृत्तचित्र गुजरात दंगों की अवधि के दौरान का है।