श्रीहरिकोटा, 21 अक्तूबर (एजेंसी)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के तहत शनिवार पूर्वाह्न 10 बजे परीक्षण यान का सफल प्रक्षेपण किया। इसमें ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ (सीईएस) यानी चालकदल बचाव प्रणाली का परीक्षण किया गया। टीवी-डी1 परीक्षण यान ने ‘क्रू मॉड्यूल’ (जिसमें अंतरिक्ष यात्री सवार होंगे) और ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ को लेकर उड़ान भरी। तय योजना के अनुसार, एक निश्चित ऊंचाई तक पहुंचने के बाद ‘क्रू मॉड्यूल’ और ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ उससे अलग होकर बंगाल की खाड़ी में सुरक्षित व सटीक तरीके से उतरे। अधिकारियों ने बताया कि नौसेना उन्हें बंगाल की खाड़ी से फिर से प्राप्त करेगी और चेन्नई बंदरगाह लेकर आएगी। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया कि क्रू मॉड्यूल के सभी संचालन, सीईएस के अलग होने, सभी पैराशूट खुलने और आवश्यक वेग से समुद्र में उतरने की प्रक्रियाएं बहुत अच्छी तरह से पूरी हुईं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अनेक लोगों ने वैज्ञानिकों को बधाई दी।
सुनिश्चित होगी चालक दल की सुरक्षा
गगनयान के मिशन निदेशक आर. हटन ने कहा कि इस विशेष मिशन में सबसे महत्वपूर्ण चालक दल की सुरक्षा है… मिशन में प्रदर्शित किया गया है कि मानो कोई पक्षी अपने बच्चे को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहा हो। उन्होंने कहा कि यह मिशन मजबूत और विश्वसनीय है, लेकिन हम कोई जोखिम में नहीं ले सकते और इसलिए यदि कोई खराबी होती है तो प्रक्षेपण यान में एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जो ‘क्रू मॉड्यूल’ को दूर ले जाकर नीचे उतारे। इस प्रणाली को ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ कहा जाता है। परीक्षण यान के पहले मिशन में आज इसे सटीकता से दिखाया गया।