चंडीगढ़, 2 मई (ट्रिन्यू/एजेंसी)
पंजाब सरकार के लिए आज उस वक्त बड़ी शर्मिंदगी पैदा हुई जब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आप के पूर्व नेता और कवि कुमार विश्वास के इस दावे काे खारिज नहीं किया जा सकता कि उन पर दर्ज प्राथमिकी ‘राजनीति से प्रेरित’ थी। इसके साथ ही जस्टिस अनूप चितकारा ने विश्वास की गिरफ्तारी सहित आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी। विश्वास ने अपने खिलाफ 12 अप्रैल को दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए अदालत का रुख किया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस राय और चेतन मित्तल ने दलील दी कि याचिकाकर्ता पर 16 फरवरी से 19 फरवरी के बीच साक्षात्कार में आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया गया था।
जस्टिस चितकारा ने जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता को जिन दंड प्रावधानों के तहत आरोपित किया गया है, वे प्रथम दृष्टया उसके खिलाफ नहीं हैं। प्राथमिकी राजनीति से प्रेरित होने की दलील से इंकार नहीं किया जा सकता है। भले ही शिकायत में लगाए गए सभी आरोप और त्वरित जांच, जिसमें लगभग सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, काल्पनिक रूप से सत्य के रूप में माना जाता है, फिर भी प्रथम दृष्टया एकत्र किए गए साक्ष्य याचिकाकर्ता के लिए किसी भी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं करते हैं।’ जस्टिस चितकारा ने कहा कि शिकायत दर्ज करना, याचिकाकर्ता को मुख्य आरोपी के रूप में नामित करना, अपमान के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के लिए नहीं था। शिकायतकर्ता ने रोपड़ जिले के पंजोला में 12 अप्रैल की घटना के साथ बहुत पहले की तारीख में एक अलग परिदृश्य के तहत एक अलग जगह पर हुई घटना को जोड़ा। दोनों के बीच निकटता का अभाव और यह तथ्य कि याचिकाकर्ता निर्विवाद रूप से 10-12 अज्ञात व्यक्तियों में से एक नहीं था, को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। शिकायत और जांच के अवलोकन से यह नहीं पता चला कि याचिकाकर्ता के साक्षात्कारों ने बाद की घटनाओं को प्रेरित किया।
हाईकोर्ट ने 6 जुलाई तक रोक लगाते हुए पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर दिया। पंजाब सरकार अब कुमार विश्वास के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को लेकर अपनी रिपोर्ट देगी।