जयपुर, 20 मई (एजेंसी)
राजस्थान के भीलवाड़ा की पोक्सो अदालत ने 14 साल की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म व उसे कोयला भट्ठी में जलाने के मामले में दो दोषियों कालू और कान्हा को सोमवार को मृत्युदंड की सजा सुनाई।
विशेष लोक अभियोजक महावीर सिंह किशनावत ने बताया कि जिस तरह से नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म किया गया, उसके साथ मारपीट की गई और फिर उसे जिंदा ही भट्ठी में जला दिया गया, इसे अदालत ने ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ मानते हुए फैसला सुनाया। इससे पहले अदालत ने शनिवार को दोनों को दोषी ठहराया था।
अदालत ने साक्ष्य मिटाने के सात आरोपियों को बरी कर दिया था। इनमें तीन महिलाएं व चार पुरुष हैं। किशनावत ने कहा कि इन्हें बरी किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी।
पीड़िता की मां ने कहा कि न्याय हुआ है और वह दोषियों को दी गई सजा से संतुष्ट हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘उस समय हमारी सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की थी।… आज करीब 10 महीने के अंदर ही इन दोषियों को सजा सुनाई गई है।’ पिछले साल अगस्त में हुई यह वारदात राजस्थान में एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गई थी और उस समय विपक्षी दल, भाजपा ने महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा था।
वारदात पिछले 2 अगस्त को कोटड़ी थाना क्षेत्र में हुई थी। बच्ची इलाके में बकरियां चराने गई थी। पुलिस ने भट्टियों के पास ही रह रहे कालबेलिया समुदाय के आरोपियों को गिरफ्तार किया था। ये लोग उन भट्ठियों में कोयला बनाने का काम करते थे। सामूहिक दुष्कर्म के बाद आरोपियों को लगा कि वह मर गई है और उन्होंने उसे भट्ठी में फेंक दिया। फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट के अनुसार, जब लड़की को भट्ठी में फेंका गया, तब वह जीवित थी, उसकी मौत जलने के कारण हुई।