नयी दिल्ली, 8 फरवरी (एजेंसी)
केंद्र को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2020-21 के लिए बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) पाठ्यक्रम में दाखिले के वास्ते न्यूनतम अंक कम नहीं करने के उसके आदेश को खारिज करते हुए कहा ‘यह तर्क से परे और दोषपूर्ण है।’ शीर्ष अदालत ने न्यूनतम अंक में 10 पर्सेंटाइल कम करने के बाद केंद्र को निर्देश दिया कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए बीडीएस प्रथम वर्ष की रिक्त सीटों को मौजूदा वर्ष के नीट (अंडरग्रेजुएट) पाठ्यक्रमों में भागीदारी करने वाले उम्मीदवारों से भरा जाए।
न्यायालय ने कहा कि मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के दौरान प्रथम वर्ष बीडीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए करीब 7000 सीटें उपलब्ध हैं जिसके लिए परीक्षा 13 सितंबर 2020 को हुई थी। न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि 40 पर्सेंटाइल हासिल करने वाले सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के नामों पर 2020-21 के लिए प्रथम वर्ष बीडीएस पाठ्यक्रम में दाखिले पर विचार होगा।
पीठ ने कहा कि अजा, अजजा, ओबीसी श्रेणी के छात्रों को 30 पर्सेंटाइल होने पर उन्हें पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए योग्य घोषित किया जाएगा। पीठ ने केंद्र की इस दलील को खारिज कर दिया कि देश में पर्याप्त संख्या में दंत चिकित्सक मौजूद हैं और सीटें नहीं भर पाने से कोई नुकसान नहीं है। हालांकि, पीठ ने सरकार के इस बयान से सहमति जतायी कि निजी दंत चिकित्सा कॉलेजों में बहुत ज्यादा शुल्क होने के कारण ज्यादातर सीटें खाली हैं।