नयी दिल्ली, 9 जनवरी (एजेंसी)
दिल्ली की सीमाओं पिछले करीब 40 दिनों से डटे रहने के दृढ़ संकल्प के बावजूद कई प्रदर्शनकारी किसान चिंता एवं अवसाद से ग्रहित हो रहे हैं। सिंघु बॉर्डर पर चिकित्सा शिविर चलाने वाले गैर सरकारी संगठनों के अनुसार ये किसान काफी साहसी हैं, लेकिन प्रतिकूल मौसम की स्थितियों का सामना करने के चलते तनाव में हैं। इनके मानसिक बोझ को कम करने के लिए अमेरिकी एनजीओ ‘युनाइटेड सिख’ ने किसानों के लिए काउंसलिंग सत्र शुरू किया है। शिविर में एक मनोवैज्ञानिक एवं स्वयंसेवक सान्या कटारिया ने कहा कि कई किसानों की इस आंदोलन के दौरान मृत्यु हो गई है और कुछ ने अपनी जान दे दी है। हो सकता है कि उनमें मजबूत दृढ़ संकल्प हो, लेकिन अत्यधिक ठंड, कठित परिस्थितियों के साथ ही खेतों में सक्रिय नहीं रहने के कारण जीवनशैली में बदलाव के चलते उनके अवसाद से ग्रस्त होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि अधिकांश किसान कठोर स्थिति और ठंड का सामना कर सकते हैं, क्योंकि वे कड़ी मेहनत करने के आदी हैं, लेकिन उनमें से कुछ चिंता, अवसाद से ग्रसित हो गए हैं। यह खतरनाक है। कटारिया ने कहा कि काउंसलिंग के लिए शिविर में आने वालों में बेचैनी, सिरदर्द सामान्य लक्षण देखे गए हैं।
दिल्ली में युनाइटेड सिख इंडिया के कार्यालय में सहायक समन्वयक गुरदीप कौर का कहना है कि आत्महत्या करने वाले कई किसानों की खबरों ने हमें बहुत परेशान किया है। हम नहीं चाहते कि कोई किसान मरे और हम आत्महत्या के प्रयासों को रोकना चाहते हैं। इसलिए हमारी काउंसलिंग उनके दिमाग को शांत करती है।