नयी दिल्ली, 2 दिसंबर (एजेंसी)
राहुल गांधी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) पर टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पलटवार किया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘राजनीतिक अवसरवादिता और सिद्धांतों की लड़ाई में अंतर होता है। तीन-चार बार आप भाजपा के साथ जाओ और फिर दो-तीन बार कांग्रेस के साथ वापस आओ, इसके बाद सिद्धांतों का पाठ पढ़ाओ, यह अनुचित है।’ उन्होंने तंज कसते हुए सवाल किया कि कहीं ममता फासीवादी विचारधारा के रास्ते पर तो नहीं चली गयी हैं? उन्होंने आरोप लगाया, ‘मोदी जी विधायक एवं पार्टियां तोड़ते हैं, ममता जी भी वही कर रही हैं।’
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने बुधवार को राहुल गांधी पर निशाना साधा था और कहा था कि अब कोई संप्रग नहीं है। सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह वही ममता जी हैं जो 1999 में भाजपा और राजग के साथ चली गई थीं और वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री बन गई थीं। 2001 में उन्होंने कहा कि उन्हें भाजपा पसंद नहीं है और फिर कांग्रेस के साथ आ गईं। 2003 में कांग्रेस फिर से नापसंद हो गई और वह भाजपा के साथ चली गईं और खनन मंत्री बनीं। 2008 में उन्हें भाजपा फिर नापसंद हो गई और कांग्रेस के साथ आ गईं और संप्रग सरकार में मंत्री बन गईं। 2012 में संप्रग फिर नापसंद हो गईं और वह अलग हो गईं।’
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस के बिना संप्रग एक ऐसे शरीर की तरह होगा जिसमें आत्मा नहीं हो। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी कहा कि कांग्रेस देश का मुख्य विपक्षी दल है और भाजपा को पराजित करने के किसी भी राष्ट्रीय प्रयास का मुख्य स्तंभ बनी हुई है।
पिछले 10 साल से संप्रग नहीं है : तृणमूल
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के बयान का बचाव करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले 10 वर्षों से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से तथ्यात्मक है। हम यहां उस बात का बचाव करने के लिए नहीं आए हैं। 13 मई 2004 को चुनाव के नतीजे आए थे। शासन के लिए संप्रग बना था। डॉ मनमोहन सिंह पीएम बने थे। चुनाव बाद संप्रग का स्पष्ट उद्देश्य था बेहतर शासन, जो 2014 तक चला।…हालांकि, न सिर्फ पिछले एक साल में बल्कि पिछले 10 वर्षों से संप्रग नहीं है। शासन कोई अन्य दल कर रहा है। कल जो कुछ कहा गया था उसका यही मतलब है।’
कांग्रेस का नेतृत्व किसी का नैसर्गिक अधिकार नहीं : किशोर
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बृहस्पतिवार को कहा कि कांग्रेस जिस विचारधारा और राजनीति का प्रतिनिधित्व करती है, वह अहम है, किंतु उसका नेतृत्व किसी ‘व्यक्ति का नैसर्गिक अधिकार’ नहीं है, विशेषकर तब जब पार्टी पिछले 10 साल में 90 प्रतिशत चुनाव हार चुकी है। ‘विपक्ष के नेतृत्व का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होने दीजिए।’
इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और उसके प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ट्वीट किया, ‘यहां जिस व्यक्ति की चर्चा की जा रही है, वह आरएसएस से भारतीय लोकतंत्र को बचाने और संघर्ष करने के अपने नैसर्गिक दायित्व का निर्वहन कर रहा है।’