नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जमानत पर फैसला करते समय कोई भी अदालत कारण बताने के ‘अपने कर्तव्य से विमुख’ नहीं हो सकती। जस्टिस धनंजय वाई. चन्द्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने हत्या के मामले में 6 आरोपियों को जमानत देने के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा, जमानत का मुद्दा आरोपी की आजादी, राज्य के हित और पीड़ित को उचित आपराधिक न्याय प्रशासन से जुड़ा हुआ है। यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि हाईकोर्ट या सत्र अदालतें सीआरपीसी के प्रावधान 439 के तहत आवेदन पर फैसला करते हुए तथ्यों के गुण-दोष की विस्तृत समीक्षा नहीं करेंगी, क्योंकि मामले पर आपराधिक सुनवाई अभी होनी बाकी है। पीठ ने कहा, ‘मौजूदा मुकदमे के फैसले पर हम हाईकोर्ट के इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखते कि, दोनों पक्षों के वकीलों ने आगे बढ़ने की बात नहीं कही है, इसलिए यह (जमानत देने का) कारण है।’