देहरादून, 22 दिसंबर (एजेंसी)
पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के कांग्रेस से अलग होने के बाद अब उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता हरीश रावत की ‘नाराजगी’ ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी के लिए एक नयी मुसीबत खड़ी कर दी है। उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने बुधवार को पार्टी संगठन पर असहयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका मन सब कुछ छोड़ने को कर रहा है। प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष रावत ने एक ट्वीट किया, ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर कर खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।’ उन्होंने लिखा, ‘जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत, अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है।’ हालांकि, रावत ने कहा, ‘फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है कि ‘न दैन्यं न पलायनम्’। बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।’
जल्द कर सकते हैं राजनीतिक भविष्य पर फैसला
रावत के करीब सूत्रों का दावा है कि वह पिछले कुछ महीनों से पार्टी के भीतर दरकिनार महसूस कर रहे हैं। यदि पार्टी आलाकमान ने दखल नहीं दिया और राज्य में कांग्रेस की कार्यप्रणाली न सुधरी तो वह जल्द ही राजनीतिक भविष्य पर कोई फैसला कर सकते हैं। सूत्रों का यहां तक कहना है कि स्थितियों में सुधार नहीं होने पर 72 वर्षीय रावत ‘राजनीति से संन्यास लेने तक का फैसला ले सकते हैं।’ उधर रावत के ट्वीट के बारे में उनके मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार ने कहा कि पार्टी के अंदर की कुछ ताकतें उत्तराखंड में भाजपा के हाथों में खेल रही हैं। परेशानी का संबंध उत्तराखंड में पार्टी मामलों के प्रभारी देवेंद्र यादव से संबंध है, कुमार ने कहा, ‘ पंचायती प्रमुख अगर पार्टी कार्यकर्ताओं के हाथ बांधेगे और पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएंगे, तो हाई कमान को इसका संज्ञान लेना चाहिए।’
कांग्रेस की आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
रावत के इस रुख को लेकर कई बार प्रयास किए जाने के बावजूद कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई। इस ट्वीट पर उनके करीबी सूत्रों ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों से प्रदेश प्रभारी (देवेंद्र यादव) और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में बैठे कुछ नेताओं का जो रुख रहा है, उससे हरीश रावत खुद को दरकिनार महसूस कर रहे हैं।’ रावत के करीबी एक नेता ने कहा, ‘नया पीसीसी अध्यक्ष (गणेश गोदियाल) नियुक्त करने से पहले स्थानीय संगठन में सैकड़ों पदाधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई। फिर चुनाव प्रचार अभियान को एक जगह केंद्रित कर दिया गया। टिकट के मामले में भी वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी करने की कोशिश हो रही है। सवाल यह है कि अगर पार्टी के सबसे बड़े चेहरे और वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया जाएगा तो फिर चुनाव कैसे जीता जाएगा?’ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सूत्रों का कहना है कि रावत का यह रुख सिर्फ चुनाव से पहले टिकटों के संदर्भ में दबाव बनाने की रणनीति है और उम्मीद है कि वह पार्टी के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे और चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे।