तिरूवनंतपुरम, 4 जनवरी (एजेंसी)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2023 में प्रक्षेपित किये जाने वाले एवं मानव को अंतरिक्ष में ले जाने वाले देश के प्रथम अभियान ‘गगनयान’ के लिए काफी तेजी से काम कर रहा है। ‘क्रू मॉड्यूल, के पृथ्वी पर उतरने के विकल्पों ,अंतरिक्ष यात्रियों की बचाव प्रणाली और इस दल (क्रू) के प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवनरक्षक पैकेट के बारे में दिलचस्प विवरण सामने आए हैं। इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी), बेंगलुरु के निदेशक डॉ. उन्नीकृष्णन नायर ने एक आलेख में कहा है कि ‘क्रू मॉड्यूल’ सप्ताह भर के अपने अभियान को पूरा करने के बाद 2023 में भारतीय तट के पास उतरेगा, और अपेक्षाकृत शांत समुद्री मौसमी दशाओं वाला अरब सागर प्राथमिक विकल्प है, लेकिन एक अन्य विकल्प के तौर पर बंगाल की खाड़ी पर भी विचार किया जा रहा है। ‘इंडियन ह्यूमन स्पेस मिशन’ शीर्षक वाला आलेख मनोरमा ईयर बुक 2022 में प्रकाशित हुआ है। इसरो ने वहनीय मानव अंतरिक्ष उड़ान गतिविधियों के लिए एचएसएफसी की स्थापना 2019 में बेंगलुरु में की थी और गगनयान पहली परियोजना है। अंतरिक्ष यात्री बचाव प्रणाली के कामकाज को मान्यता देने के लिए परीक्षण उड़ान और गगनयान का प्रथम मानव रहित अभियान 2022 के उत्तरार्ध में शुरू होने का कार्यक्रम है। गगनयान ऑर्बिटल मॉड्यूल के दो हिस्से हैं- क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉडयूल- तथा वजन करीब 8,000 किग्रा है। आर्बिटल मॉड्यूल को ह्यूमन रेटेड लॉंच व्हीकल (एचआरएलवी) से प्रक्षेपित किया जाएगा, जो जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट का उन्नत संस्करण है। क्रू मॉड्यूल में प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री के जीवित रहने में सहायक पैकेट होंगे जो करीब दो दिनों तक उनकी मदद करेंगे। हालांकि, इसरो इसे लेकर सकारात्मक है कि मॉड्यूल के पृथ्वी पर उतरने के बाद दो घंटे के अंदर अंतरिक्ष यात्री भारहीनता से उबर सकते हैं। गगनयान के लिए चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस में करीब 15 महीनों तक अंतरिक्ष उड़ान का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।