नयी दिल्ली, 27 जून (एजेंसी)
सरकार डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत देश में साल 2023-24 तक आधार को भूमि रिकॉर्ड के साथ जोड़ेगी तथा राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) एवं विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या लागू करेगी ताकि जमीन के अभिलेखों को एकीकृत किया जा सके तथा राजस्व और पंजीकरण को जोड़ने की पारदर्शी व्यवस्था बनाई जा सके। ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) में काफी प्रगति हुई है और बुनियादी जरूरतों से जुड़े लक्ष्यों को हासिल किया गया है। लेकिन राज्य अभी तक इस कार्यक्रम के सभी कारकों को 100 प्रतिशत पूरा नहीं कर पाए हैं।’
गौरतलब है कि डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) को 21 अगस्त 2008 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी। एक अप्रैल 2016 को इसे केंद्रीय सेक्टर योजना के रूप में स्वीकृति मिली, जिसमें केंद्र से 100 प्रतिशत वित्त पोषण का प्रावधान किया गया। इसका मकसद देशभर में विभिन्न राज्यों में भूमि अभिलेखों को जोड़ते हुए उपयुक्त एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (आईएलआईएमएस) स्थापित करना है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को मार्च 2021 पूरा होना था, लेकिन अब इसे वर्ष 2023-24 तक विस्तार दिया गया है ताकि चालू कार्यों सहित इसकी नयी कार्य योजना को अगले तीन वर्षों में पूरा किया जा सके।
अधिकारी ने बताया कि इस कार्यक्रम में संपत्ति और दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए ‘एक राष्ट्र, एक साफ्टवेयर’ योजना के तहत 10 राज्यों में राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) लागू की जा रही है। इसके अलावा साल 2021-22 तक विशिष्ठ भूमि पार्सल पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) लागू की जाएगी। एनजीडीआरएस प्रणाली को 10 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम और पंजाब में लागू किया गया है।
भू-कर संबंधी मानचित्रों का डिजिटलीकरण 22 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 90 प्रतिशत से अधिक हो चुका है हालांकि यह कार्य पांच प्रदेशों में शुरू नहीं हुआ है। सम्पत्ति पंजीकरण का कम्प्यूटरीकरण 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 90 प्रतिशत से अधिक हो गया है।