दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 5 मार्च
सूबे की सत्तारूढ़ भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार के खिलाफ कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव मंजूर हो गया है। स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए इस पर 10 मार्च को चर्चा और फिर वोटिंग करवाने का फैसला लिया है। इससे पहले कांग्रेस विधायकों ने हाईकोर्ट चौक से लेकर विधानसभा तक किसान आंदोलन के समर्थन में पैदल मार्च किया। सदन में भी कांग्रेसी बाजू पर काली पट्टी बांधकर पहुंचे।
इससे पहले बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में भी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो गई थी और उसी समय इस पर 10 मार्च को चर्चा करवाने की सहमति बन गई थी। चूंकि कांग्रेस विधायक शुक्रवार को ही स्पीकर सचिवालय में नोटिस दे चुके हैं। ऐसे में अब उन्हें दोबारा अविश्वास प्रस्ताव देने की जरूरत नहीं होगी। विधानसभा संचालन नियमावाली के रूल-65 के तहत कांग्रेस ने यह प्रस्ताव दिया है। 10 मार्च को स्पीकर पहले प्रस्ताव पर कांग्रेस विधायकों के हाथ खड़े करवा कर सहमति लेंगे।
नियमों के हिसाब से प्रस्ताव पर चर्चा के लिए कम से कम 18 विधायकों की सहमति होना जरूरी है। कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। ऐसे में इस पर किसी तरह का संकट नहीं रहेगा। अहम बात यह है कि कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव में कृषि कानूनों के अलावा, आंदोलनत किसानों की मौत, प्रदेश में जहरीली शराब से 47 लोगों की मौत, रजिस्ट्री व शराब घोटाले सहित कई मुद्दों को शामिल किया है। भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार के विधायकों पर दोहरे मानदंड अपनाने के आरोप भी प्रस्ताव में लगाए हैं।
प्रस्ताव में कहा गया है कि जेजेपी के कई विधायक आंदोलनत किसानों के बीच जाकर अपना समर्थन दे चुके हैं। ऐसे में अब इस प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग के दिन यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि ये विधायक किसानों के साथ हैं या नहीं। वहीं दूसरी ओर, शोक प्रस्ताव के दौरान विपक्ष के नेता हुड्डा ने दिल्ली बार्डर पर अभी तक जान गंवाने वाले किसानों के नाम भी शामिल करने की मांग की। स्पीकर व ट्रेजरी बेंच ने इस अनसुना कर दिया।
काली पट्टी पर हुआ बवाल
कांग्रेस विधायकों द्वारा बाजू पर काली पट्टी बांधकर आने पर गृह मंत्री अनिज विज ने कड़ी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ऐसा करके राष्ट्रीय गीत व राष्ट्रगान का अपमान किया है। विज ने कहा कि भारत का नागरिक होने के नाते कांग्रेस विधायकों को राज्यपाल के आगमन पर राष्ट्रीय गीत व राष्ट्रीय गान के समय पट्टियां उतारनी चाहिए थी। वहीं जब दिवंगतों व शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया तो स्पीकर ने सभी विधायकों को बाजू से काली पट्टी हटाने को कहा। विधायकों ने इस दौरान पट्टी हटा दी।
भजनलाल व बंसीलाल के खिलाफ भी आए थे प्रस्ताव
विधानसभा में अविश्वास व विश्वास प्रस्ताव पहले भी आते रहे हैं। दो अविश्वास प्रस्ताव ऐसे हैं, जो प्रदेश की राजनीति में अहम रहे हैं। बड़ी बात यह है कि ये दोनों ही प्रस्ताव इनेलो सुप्रीमो व पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला द्वारा लाए गए थे। 27 सितंबर, 1995 में भजनलाल सरकार के खिलाफ चौटाला अविश्वास प्रस्ताव लाए। इस पर चर्चा भी हुई और वोटिंग भी हुई लेकिन चौटाला का प्रस्ताव भजनलाल के बहुमत के सामने गिर गया। 1999 में बंसीलाल के नेतृत्व वाली हरियाणा विकास पार्टी और भाजपा गठबंधन सरकार के खिलाफ चौटाला फिर अविश्वास प्रस्ताव लाए। भाजपा ने हविपा से दूरी बना ली थी लेकिन उस समय चौ़ बीरेंद्र सिंह के समर्थन से बंसीलाल की सरकार बची। कांग्रेस ने भी बंसीलाल को समर्थन दिया। कुछ दिनों बाद बंसीलाल ने इस्तीफा दे दिया।