लखनऊ/झांसी (उप्र), 16 नवंबर (एजेंसी)
बच्चों के वार्ड के बाहर याकूम मंसूरी शुक्रवार रात फुटपाथ पर सो रहे थे, तभी नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में आग लग गयी। वह खिड़की तोड़कर अंदर घुसे और कुछ नवजात शिशुओं को बचाने में सफल रहे, लेकिन अपनी दो बेटियों को नहीं बचा पाए। अधिकारियों ने उन्हें पहचान के लिए कुछ शिशुओं के जले हुए शव दिखाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
अपनी बेटियों को खोजने के लिए बेताब पिता ने कहा, ‘मैं उन्हें पहचान नहीं पाया।’ चारों ओर गम का माहौल है। माता-पिता, जिनमें ज्यादातर युवा माताएं थीं, और उनके परिवार के सदस्य बच्चों के वार्ड के बाहर एकत्र हुए, एक-दूसरे से लिपट कर अपने सबसे बुरे समय में विलाप कर रहे थे। संतोषी, जिसने महज 11 दिन पहले बच्चे को जन्म दिया था, अपने चेहरे को हथेलियों से ढक कर जमीन पर बैठी रो रही थी। उसने दुख से कांपती आवाज़ में कहा, ‘मैंने शोर सुना और दौड़कर आई। लेकिन, मैं अपने बच्चे को कैसे बचा सकती थी।’
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत के कुछ घंटों बाद, राज्य सरकार ने शनिवार को मृतकों के माता-पिता को पांच-पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने घटना की त्रिस्तरीय जांच के आदेश भी दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया और प्रत्येक मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की।
अधिकारियों ने बताया कि यह घटना बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण हुई। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि फायर फाइटिंग इक्विपमेंट सही स्थिति में हैं। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सेंगर ने कहा, ‘एनआईसीयू वार्ड में 25 बच्चों का उपचार किया जा रहा है।’