दिल्ली/श्रीनगर, 9 अक्तूबर (एजेंसी)
INDIA Politics: हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद आईएनडीआईए (INDIA) गठबंधन में असंतोष के संकेत उभरने लगे हैं। कांग्रेस की हार के बाद गठबंधन के सहयोगी दलों ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आत्ममंथन की सलाह दी है। क्षेत्रीय दलों के नेताओं का मानना है कि कांग्रेस ने चुनाव में क्षेत्रीय दलों की उपेक्षा की, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा है।
गठबंधन के नेताओं ने कांग्रेस को साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि चुनावों में उनकी हार का प्रमुख कारण क्षेत्रीय दलों के महत्व को नजरअंदाज करना था। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस को हरियाणा में अपनी हार के कारणों का पता लगाने के लिए गहराई से आत्मचिंतन करना चाहिए।
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करने जा रही है। नेकां और कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था। नेकां नेता ने श्रीनगर में पत्रकारों से कहा, ‘‘मैंने पहले ही कहा था कि हम इन ‘एग्जिट पोल’ (चुनाव बाद के सर्वेक्षणों) से सिर्फ अपना समय बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन किसी ने नहीं सोचा होगा कि ‘एग्जिट पोल’ इतने गलत साबित होंगे। अगर 18 की जगह 20 या 20 की जगह 22 होता तो हम समझ सकते थे, लेकिन हुआ ये कि 30 की जगह 60 हो गया और 60 की जगह 30 हो गया।”
हरियाणा में अधिकतर ‘एक्जिट पोल’ में कांग्रेस को बहुमत मिलता दिखाया गया था। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘कांग्रेस को गहराई से मंथन करना चाहिए और अपनी हार के कारण का विश्लेषण करना चाहिए।” उन्होंने कहा, ‘‘मेरा काम नेकां को संचालित करना है और यहां गठबंधन की मदद करना है, जो मैं करूंगा।” नेकां और कांग्रेस जम्मू कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने वाली हैं। वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में यह पहला चुनाव है।
अहंकार और क्षेत्रीय दलों को कम आंकना, कांग्रेस के लिए घातक बना : तृणमूल कांग्रेस
तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार और खराब प्रदर्शन पर तंज करते हुए बुधवार को कहा कि क्षेत्रीय दलों को महत्व नहीं देने की प्रवृत्ति कांग्रेस के लिए चुनावी हार का कारण बन रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का क्षेत्रीय दलों को उन स्थानों पर समायोजित नहीं करने का रवैया, जहां उन्हें लगता है कि वे जीत रहे हैं, उसके लिए घातक बन रहा है।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में गोखले ने किसी पार्टी का नाम लिए बिना कहा कि अहंकार और क्षेत्रीय दलों को कम आंकने की प्रवृत्ति हार का कारण बन रही है। तृणमूल कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘यह रवैया चुनावी हार की ओर ले जाता है – अगर हमें लगता है कि हम जीत रहे हैं, तो हम किसी भी क्षेत्रीय पार्टी को तवज्जो नहीं देंगे… लेकिन जिन राज्यों में हम पीछे हैं, वहां हमें क्षेत्रीय पार्टियों को जरूर तवज्जो देनी चाहिए।” उन्होंने कहा, ‘‘अहंकार, हक और क्षेत्रीय पार्टियों को कम आंकना घातक साबित हो रहा है।”
गोखले की यह टिप्पणी हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा सत्ता विरोधी लहर को मात देते हुए जीत की ‘हैट्रिक’ लगाने और कांग्रेस की वापसी की उम्मीदों को धराशायी करने के एक दिन बाद आई है।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सवाल उठाए थे। हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन की इच्छुक आम आदमी पार्टी (आप) के अध्यक्ष ने मंगलवार को कहा कि हाल के चुनावों से सबसे बड़ी सीख यह मिली है कि किसी को भी अति आत्मविश्वास नहीं करना चाहिए।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा ने भी कहा कि कांग्रेस को हरियाणा के चुनाव परिणामों पर आत्मचिंतन करने की जरूरत है और महाराष्ट्र तथा झारखंड में आगामी चुनावों में ‘इंडिया’ गठबंधन के सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलने की जरूरत है। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ब्लॉक का हिस्सा रही तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ा था, जबकि कांग्रेस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और अन्य वामपंथी दलों के साथ गठबंधन किया था।