नयी दिल्ली, 17 अगस्त (एजेंसी) सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के मद्देनजर जेईई (मुख्य) अप्रैल, 2020 और नीट-यूजी की सितंबर में होने वाली परीक्षाएं स्थगित करने के लिये दायर याचिका सोमवार को खारिज करते हुये कहा कि छात्रों का कीमती वर्ष बर्बाद नहीं किया जा सकता और जीवन चलते रहना है। जस्टिस अरुण मिश्रा , जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की 3 सदस्यीय पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इस मामले की सुनवाई करते हुये कहा कि छात्रों के शैक्षणिक जीवन को लंबे समय तक जोखिम में नहीं डाला जा सकता।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार परीक्षाओं के आयोजन का मार्ग प्रशस्त करते हुये पीठ ने कहा, ‘जीवन चलते रहना है। जीवन को आगे बढ़ना है। छात्रों का कीमती साल बर्बाद नही किया जा सकता।” सालिसीटर जनरल ने पीठ से कहा कि इन परीक्षओं के आयोजन के दौरान पूरी सावधानी और सुरक्षा उपाये किये जायेंगे। याचिकाकर्ता छात्रों के वकील ने पीठ से कहा कि इस मामले में राहत के लिये लाखों छात्रों की निगाहें शीर्ष अदालत की ओर लगी हुयी हैं और वे चाहते हैं कि सिर्फ इन परीक्षाओं को स्थगित किया जाये। यह याचिका 11 राज्यों के 11 छात्रों ने दायर की थी। इन छात्रों ने नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी (एनटीए) द्वारा 3 जुलाई को जारी नोटिस रद्द करने का अनुरोध किया था। इस नोटिस के माध्यम से ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) अप्रैल, 2020 और राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट)-यूजी की परीक्षायें सितंबर में कराने का निर्णय लिया गया था। एनटीए की सार्वजनिक सूचना के अनुसार जेईई (मुख्य) अप्रैल, 2020 की परीक्षा एक से 6 सितंबर के दौरान आयोजित होगी जबकि नीटी-यूजी 2020 की परीक्षा 13 सितंबर को होगी। याचिका में दलील दी गयी थी कि संकट के इस दौर में इन परीक्षाओं का आयोजन लाखों युवा छात्रों के जीवन को जोखिम में डालने के अलावा कुछ नहीं है। बेहतर होगा कि अभी कुछ समय और इंतजार कर लिया जाये।