नयी दिल्ली, 6 दिसंबर (एजेंसी)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान हुए दो ‘बड़े ब्लंडर’ (गलतियों) का खमियाजा जम्मू-कश्मीर को वर्षों तक भुगतना पड़ा। जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए नेहरू के संदर्भ में शाह की टिप्पणियों का कांग्रेस के सदस्यों ने पुरजोर विरोध किया। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। बाद में कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य सदन से वाकआउट कर गए। गृह मंत्री के जवाब के बाद इन दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई।
शाह का कहना था कि नेहरू के ये दो ब्लंडर- 1947 में आजादी के कुछ समय बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय संघर्ष विराम करना और जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाने के थे। गृह मंत्री ने कहा कि अगर संघर्ष विराम नहीं हुआ होता तो पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) अस्तित्व में नहीं आता।
आरक्षण और विधानसभा में सीटें बढ़ाने का प्रावधान
जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन करता है। यह अनुसूचित जाति और जनजाति तथा अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करता है। वहीं, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है। प्रस्तावित विधेयक से विधानसभा सीटों की कुल संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी। इसमें अनुसूचित जाति के लिए 7 सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित हैं।