पुरुषोत्तम शर्मा/ हप्र
सोनीपत, 21 जनवरी
नये कृषि कानूनों को डेढ़ साल स्थगित करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को प्रदर्शनकारी किसानों ने नामंजूर कर दिया है। बृहस्पतिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की 6 घंटे चली बैठक में सर्वसम्मति से इस पर फैसला लिया गया। किसानों ने दोहराया कि उनकी एकसूत्रीय मांग है कि तीनों कानूनों को संसद रद्द करे और फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए देशभर के लिए कानून बनाया जाये।
शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत होनी है। इससे पहले दसवें दौर की बातचीत में सरकार की ओर से प्रस्ताव दिया गया था कि डेढ़ साल तक कानून स्थगित कर कमेटी गठित कर दी जाएगी। इस पर किसान संगठनों ने कहा था कि वह चर्चा के बाद अपनी राय रखेंगे। इसी मुद्दे पर कुंडली बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की मैराथन बैठक हुई। सूत्रों का कहना है कि बैठक में कई तरह के प्रस्ताव किसान संगठनों की ओर से आये। यह भी प्रस्ताव था कि कानूनों का 3 साल तक स्थगन और एमएसपी की कानूनी गारंटी मांगी जाये। लेकिन बाद में तय हुआ कि तीनों कानून रद्द कराकर ही आंदोलन खत्म किया जाएगा। बैठक में किसान नेताओं ने कहा कि 147 किसान शहीद हो चुके हैं। इनकी शहादत को जाया नहीं जाने दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि अब यह आंदोलन देशव्यापी हो गया है। केरल से लेकर कर्नाटक तक में ट्रैक्टर मार्च निकाले जा रहे हैं।
संयुक्त मोर्चा के नेता डाॅ. दर्शनपाल ने कहा कि किसान सरकार के सामने अपनी बात रखने शुक्रवार को जाएंगे। सरकार को ये कानून रद्द करके किसानों की मांग पूरी करनी चाहिए।
वार्ता में व्यापारियों को भी जगह मिले : कैट
नयी दिल्ली (एजेंसी) : खुदरा व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में किसानों के आंदोलन से व्यापारियों को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है। कैट ने कहा है कि प्रस्तावित संयुक्त समिति में व्यापारियों को भी रखा जाए, क्योंकि नये कृषि कानूनों से व्यापारियों के हित भी जुड़े हैं।