नयी दिल्ली, 22 अक्तूबर (एजेंसी)
हर वर्ष अक्तूबर के महीने तक उत्तर भारत के छोटे बड़े मैदानों में रामलीला का मंचन शुरु हो जाता है और शाम होते ही चारों ओर रामायण की गूंज सुनायी देने लगती है। लेकिन इस बार अक्तूबर अलग है। इस बार दशहरे की वह चहल-पहल गायब है, क्योंकि अधिकतर रामलीलाओं का मंचन या तो रद्द कर दिया गया है या फिर कोरोना वायरस महामारी वाले इस माहौल में रामलीला रिकॉर्ड करने के बाद डिजिटल मंचन कर अच्छाई की बुराई पर विजय की यह पौराणिक गाथा लोगों को दिखायी जा रही है। इस तरह का ही दृश्य उत्तरी दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके में विष्णु-अवतार रामलीला समिति के रामलीला मंचन में देखने को मिल रहा है जहां इस बार राम जन्म से पहले उनकी कोरोना जांच की जा रही है तो सीता स्वयंवर से पहले भगवान शिव का धनुष सैनिटाइज किया जा रहा है और भरत- मिलाप के दृश्य में राम से मिलने के दौरान भरत मास्क में नजर आ रहे हैं। इस तरह से कोविड-19 महामारी में राम और सीता, लक्ष्मण और हनुमान की स्वामिभक्ति, और राम-रावण के बीच के युद्ध का वर्णन सुनाया जा रहा है। विष्णु अवतार समिति के प्रमुख प्रेमपाल सिंह ने कहा कि हमने कोई कसर नहीं छोड़ी है कि हमारी रामलीला किसी भी नियम का पालन न करने के कारण रद्द हो। कहानी में बदलावों से हम जनता के बीच जागरूकता भी पैदा कर रहे हैं। लयबद्ध संगीत के बीच मंच पर अभिनेता किरदारों में ढलकर लोगों के सामने आ रहे हैं और कुछ कलाकार तो मंच पर पीपीई किट पहन कर आ रहे हैं। सिंह ने कहा कि जिन दृश्यों में पहले 20 कलाकार हुआ करते थे उनमें अब केवल पांच या 10 कलाकार ही मंच पर आ रहे हैं। इसी तरह, दर्शकों की कुर्सियां भी एक दूसरे से छह छह फुट की दूरी पर हैं। प्रवेश के समय हम सभी को सैनिटाइज करते हैं और सभी आगंतुकों को मास्क वितरित करते हैं।