नयी दिल्ली, 1 दिसंबर (एजेंसियां)
नये कृषि कानूनों के बाद किसान आंदोलन के कारण उपजे हालातों के बीच आज केंद्र सरकार और किसान प्रतिनिधियों में वार्ता में सरकार ने इस मामले में विमर्श के लिये समिति बनाने का सुझाव दिया है। सूत्रों के अनुसार मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में सरकार ने समिति के लिये किसान प्रतिनिधियों से 4-5 नाम मांगे हैं। इस समिति में सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। सरकार ने कहा कि कमेटी में कृषि एक्सपर्ट भी होंगे जो नये कृषि कानून पर चर्चा करेंगे। इससे पहले सरकार ने एमएसपी और एपीएमसी ऐक्ट पर किसान प्रतिनिधियों के सामने प्रजेंटेशन भी दिया। ‘एनडीटीवी’ के अनुसार सरकार के साथ बैठक में किसानों ने कहा कि आप ऐसा कानून लाये हैं जिससे हमारी ज़मीनें अडानी अम्बानी ले लेंगे। आप कॉर्पोरेट को इसमे मत लीजिए। किसानों ने कहा अब समिति बनाने का समय नहीं है। आप कहते हैं कि आप किसानों का भला करना चाहते हैं, हम कह रहे हैं हमारा भला मत कीजिये।’ इससे पहले दोपहर 3 बजे 32 किसान संगठनों के प्रतिनिधि वार्ता के लिये निर्धारित स्थल विज्ञान भवन पहुंचे। इनमें संयुक्त किसान मोर्चा के 3 सदस्य भी शामिल थे।
राजनाथ सिंह, अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया विचार-विमर्श
इससे पहले प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों के साथ मंगलवार को होने वाली बैठक से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और अमित शाह तथा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं अन्य ने इस विषय पर देर तक विचार-विमर्श किया। हालांकि इसके बाद किसानों से हुई बैठक में राजनाथ सिंह शामिल नहीं थे। राजनाथ सिंह, अमित शाह ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ 3 घंटे से अधिक समय तक केंद्र के 3 नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे पर मंथन किया।
सिंघु और टिकरी बार्डर पर पंजाब और हरियाणा के किसानों का प्रदर्शन जारी
दिल्ली के सिंघु और टिकरी बार्डर पर विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के किसानों का प्रदर्शन जारी है। शुक्रवार की हिंसा के बाद यहां से किसी तरह की अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है। सोमवार को गाजीपुर सीमा पर भी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हो गये। विपक्षी दलों ने भी केंद्र पर दबाव बढ़ाते हुए कहा है कि किसानों के लोकतांत्रिक संघर्ष का सम्मान किया जाए और कानूनों को वापस लिया जाए।