पुरी, 12 जुलाई (एजेंसी)
ओडिशा के पुरी में सोमवार को ढोल, मंजीरे और शंख की ध्वनि तथा ‘हरि बोल’ के उद्घोष के साथ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की वार्षिक रथयात्रा की शुरुआत हुई। इस दौरान कोविड नियमों का कड़ाई से पालन किया गया और पूरे शहर में कर्फ्यू लागू रहा। बारहवीं शताब्दी के मंदिर के इतिहास में लगातार दूसरे साल और दूसरी बार ऐसा हुआ जब रथयात्रा में आमजन शामिल नहीं हो सके।
मंदिर के सामने 3 किलोमीटर तक ‘ग्रैंड रोड’ सूनी पड़ी थी और केवल कुछ चुनिंदा पुजारी तथा पुलिसकर्मियों को ही उपस्थित रहने की अनुमति थी। पुरी के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा ने बताया कि सड़कों या घरों की छतों पर एकत्र होने की भी मनाही थी। रविवार रात से ही धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो गए थे तथा भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान सुदर्शन को चरणबद्ध तरीके से ‘पहंडी’ प्रक्रिया के तहत उनके रथों तक ले जाया गया। देव प्रतिमाओं को रथों में स्थापित करने के बाद पुरी के राजा गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने सोने की झाड़ू से रथों को बुहारने की परंपरा का निर्वाह किया। गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने देव प्रतिमाओं का दर्शन किया और फिर रथों को खींचा गया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पुरी न जाकर टेलीविजन पर रथयात्रा देखी। राज्य सरकार ने देशभर के श्रद्धालुओं के लिए रथयात्रा के आयोजन का मुफ्त सीधा प्रसारण करने की व्यवस्था की थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तथा अन्य नेताओं ने लोगों को उत्सव की शुभकामनायें दी।