नयी दिल्ली, 16 नवंबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उसे तैनाती, विशेषकर सशस्त्र बलों में, के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि किसी न किसी व्यक्ति को तो लद्दाख, पूर्वोत्तर के चुनिन्दा इलाकों और अंडमान एवं निकोबार द्वीप जैसे स्थानों पर जाकर सेवा करनी ही होगी।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सेना के एक कर्नल की अपील पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने सेना के इस कर्नल और उनकी कर्नल पत्नी से कहा था कि वे 15 दिन के भीतर अपनी तैनाती के नये स्थान पर कार्यभार ग्रहण करें। याचिकाकर्ता, जो जज एडवोकेट जनरल विभाग में अधिकारी हैं, ने 15 मई के अपनी तैनाती के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि चूंकि उन्होंने जेएजी और अन्य के खिलाफ कानूनी शिकायत दायर की थी, इसलिए उन्हें और उनकी पत्नी का इतनी दूर स्थानांतरण किया गया।
इस अधिकारी ने जोधपुर से अंडमान और निकोबार द्वीप में अपना तबादला किये जाने को चुनौती दी थी और यह दलील दी थी कि उनकी पत्नी को पंजाब के बठिंडा में तैनात किया जा रहा है। जस्टिस धनन्जय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस इन्दु मल्होत्रा और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील के तर्क सुनने के बाद कहा, ‘सैन्य अधिकारियों की तैनाती के मामले में, हमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। लद्दाख, पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों और अंडमान में किसी न किसी को जाना ही होगा।’ शीर्ष अदालत ने जब यह कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती तो वकील ने कहा कि वह यह याचिका वापस लेना चाहेंगे।