नयी दिल्ली, 9 जून (एजेंसी)
कांग्रेस से नाराज चल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और युवा नेता जितिन प्रसाद ने बुधवार को भाजपा का दामन थाम लिया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए इसे एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और भाजपा सांसद अनिल बलूनी की मौजूदगी में प्रसाद ने यहां पार्टी मुख्यालय में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। बलूनी ने इस अवसर पर कहा, ‘भाजपा की नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से प्रभावित होकर जितिन प्रसाद भाजपा परिवार में शामिल हुए हैं।’ इसके बाद गोयल ने उन्हें भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई और कहा कि मैं उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी बड़ी भूमिका देखता हूं। भाजपा में शामिल होने के बाद प्रसाद ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इससे पहले उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।
प्रसाद ने कहा कि उन्होंने बहुत विचार-मंथन के बाद यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा, ‘आज से मेरे राजनीतिक जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में मैंने अनुभव किया कि अगर देश में असली मायने में कोई राजनीतिक दल है, तो वह भाजपा ही है। बाकी दल तो व्यक्ति विशेष और क्षेत्र विशेष के होकर रह गये हैं। आज देश हित के लिए कोई दल और नेता सबसे उपयुक्त है और मजबूती के साथ खड़ा है, तो वह भाजपा और पीएम मोदी हैं।’
प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस में रह कर वह जनता के हितों की रक्षा नहीं कर पा रहे थे, इसलिए वहां बने रहने का कोई औचित्य नहीं था। उन्होंने कहा, ‘अब भाजपा वह माध्यम बनेगी। एक सशक्त संगठन और मजबूत नेतृत्व है यहां, जिसकी आज देश को जरूरत है।’
पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी प्रसाद के भाजपा में जाने की अटकलें थीं। जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और संगठनात्मक चुनाव की मांग को लेकर सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी।
प्रसाद ने सहूलियत की राजनीति की : कांग्रेस
जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने पर कांग्रेस ने उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि वह ‘विचारविहीन, सिद्धांतविहीन एवं सहूलियत की राजनीति’ करते हुए उन लोगों के साथ चले गये जो देश और उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के दौरान कुप्रबंधन के जिम्मेदार हैं। श्रीनेत ने कहा, ‘जितिन प्रसाद कहते हैं कि वे 8-10 साल से विचार कर रहे थे। मेरा सवाल है कि क्या आप यह उस वक्त सोच रहे थे जब मंत्री थे? आपने जो किया है वह दुख देता है।