सत्य प्रकाश/ ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 4 सितंबर
हिमालय क्षेत्र की वहन क्षमता के आकलन को लेकर केंद्र राज्यों से समयबद्ध तरीके से कार्य योजना चाहता है। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से सभी 13 हिमालयी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को इस संबंध में निर्देश देने का आग्रह किया। केंद्र ने कहा कि इन राज्यों को जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान द्वारा तैयार दिशानिर्देशों के अनुसार वहन क्षमता के मूल्यांकन के लिए उठाए गये कदमों की रिपोर्ट और एक्शन प्लान समयबद्ध तरीके से पेश करने का निर्देश दिया जाये।
वहन क्षमता वह अधिकतम जनसंख्या आकार है, जिसे कोई क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाए बिना बनाए रख सकता है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा, ‘यह जरूरी होगा कि स्थानीय अधिकारियों की मदद से प्रत्येक हिल स्टेशन के तथ्यात्मक पहलुओं को विशेष रूप से पहचाना और एकत्र किया जाए।’
मंत्रालय ने सुझाव दिया कि 13 हिमालयी राज्यों द्वारा तैयार किए गए वहन क्षमता अध्ययन की जांच/ मूल्यांकन जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक की अध्यक्षता वाली एक तकनीकी समिति द्वारा की जा सकती है। मंत्रालय ने बताया कि संस्थान मसूरी, मनाली और मैक्लोडगंज के लिए एक विशिष्ट वहन क्षमता अध्ययन करने में शामिल रहा है। मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भोपाल; राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की; भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान, देहरादून; राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, नागपुर; वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून; भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून; भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के निदेशकों या नामांकित व्यक्तियों को समिति में होना चाहिए। मंत्रालय ने सुझाव दिया कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों; भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारतीय सर्वेक्षण के प्रतिनिधि और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व केंद्रीय भूजल बोर्ड के सदस्य सचिव व नामित व्यक्ति भी इसमें होने चाहिए।
हलफमनामे में कहा गया है कि जीबी पंत संस्थान द्वारा तैयार दिशानिर्देश 30 जनवरी, 2020 को सभी 13 हिमालयी राज्यों को भेज दिए गए थे और 19 मई, 2023 को उन्हें रिमाइंडर भेजा गया था।
अदालत ने पैनल गठित करने का दिया था संकेत
केंद्र ने हलफनामा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के मौखिक निर्देश के जवाब में दायर किया है, जिसने 21 अगस्त को केंद्र से कहा था कि वह हिमालयी राज्यों की वहन क्षमता के संबंध में निर्देश पारित करने के लिए आगे का रास्ता सुझाए। शिमला और जोशीमठ में भूस्खलन की घटनाओं के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने हिमालयी क्षेत्र की वहन क्षमता और मास्टर प्लान का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल गठित करने का संकेत दिया था। इस मुद्दे को महत्वपूर्ण बताते हुए पीठ ने कहा था कि उसका इरादा तीन विशेषज्ञ संस्थानों को इस उद्देश्य के लिए एक-एक विशेषज्ञ को नामित करने के लिए कहने का है।