नयी दिल्ली, 5 अक्तूबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को सूचित किया गया कि पिछले दो साल में वर्तमान और पूर्व सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर इनकी प्रगति पर हाईकोर्ट द्वारा सख्त निगरानी की आवश्यकता है ताकि इनका तेजी से निस्तारण हो सके। न्याय-मित्र विजय हंसारिया की शीर्ष अदालत में दाखिल नयी रिपोर्ट के अनुसार इस समय पूर्व और वर्तमान सांसदों तथा विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की संख्या 4859 है जबकि मार्च 2020 में इनकी संख्या 4442 थी।
इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मौजूदा कार्यवाही में विधि निर्माताओं के खिलाफ मुकदमों के तेजी से निपटारे के बारे में निगरानी के बावजूद पिछले दो साल में पूर्व और वर्तमान सांसदों तथा विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की संख्या में वृद्धि हुयी है। इसलिए हाईकोर्टों द्वारा इनकी सख्ती से निगरानी की जरूरत है ताकि इनके खिलाफ मुकदमों का तेजी से निस्तारण हो सके।’ न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया तथा अधिवक्ता स्नेहा कलिता ने यह रिपोर्ट भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की 2016 से लंबित याचिका में दायर की है। उपाध्याय ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के निपटारे में अप्रत्याशित विलंब की ओर ध्यान आकर्षित करते हुये यह याचिका दायर कर रखी है।