कुमार मुकेश/हप्र हिसार : डीआरडीओ की जिस कोविड रोधी दवा को डीसीजीआई (भारतीय दवा महानियंत्रक) ने मंजूरी दी है, वह हिसार निवासी एवं हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र सुधीर चांदना की टीम ने बनाई है। सुधीर चांदना के पिता जेडी चांदना हरियाणा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश रह चुके हैं। दैनिक ट्रिब्यून से विशेष बातचीत में डीआरडीओ के अतिरिक्त निदेशक सुधीर चांदना ने बताया कि यह दवा कोविड-19 वायरस की रोटी छीन लेती है जिसके बाद वायरस भूखा ही मर जाता है। उन्होंने कहा कि यह लागत मूल्य पर एक सप्ताह में मार्केट में आ जाएगी। उन्होंने बताया कि इस दवा को बनाने में उत्तराखंड निवासी डीआरडीओ के वैज्ञानिक अनंत भट्ट भी उनके साथ थे और चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी का विशेष सहयोग रहा है। उन्होंने बताया कि अप्रैल, 2020 में जब वायरस के बारे में सभी अध्ययन उन्हें मिल गए तो उन्होंने यह दवा बना ली और हैदराबाद में इस पर परीक्षण शुरू हो गया। मई, 2020 में दवा नियंत्रक ने क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दे दी और अक्टूबर तक फेज 2 के ट्रायल चले। नवंबर, 2020 में फेज-3 परीक्षण की मंजूरी मिली जो दिसंबर से अप्रैल तक चले और एक मई को इस दवा के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई। अब डॉ. रेड्डी लैब्स इसके उत्पादन में लगी है और यह दवा बिना किसी मुनाफे के सप्ताह से दस दिन में मार्केट में उपलब्ध हो जाएगी। सुधीर चांदना ने बतया कि 2-डेओक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) नामक यह दवा मौजूदा उपचार पद्धति के साथ अतिरिक्त रूप से दी जाती है जिससे मरीज दो-तीन दिन पहले ही ठीक हो जाता है।