नयी दिल्ली, 13 अक्तूबर (एजेंसी)
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके वफादार शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर निर्णय करने में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को लताड़ लगाई। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की पैरवी करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से देरी का कारण पूछते हुए कहा कि यदि वह संतुष्ट नहीं हुई तो वह ‘बाध्यकारी आदेश’ सुनाएगी। उन्होंने मंगलवार तक जवाब मांगा।
पीठ ने कहा, ‘वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनेदखी नहीं कर सकते हैं। … यह (अयोग्यता संबंधी कार्रवाई) एक संक्षिप्त प्रक्रिया है। पिछली बार, हमें लगा था कि सदबुद्धि आएगी।’ अप्रसन्न दिख रहे प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा, नहीं तो पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी। प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव संभवतः सितंबर-अक्तूबर 2024 के आसपास होगा। पीठ ने कहा कि अध्यक्ष की ओर से ऐसी धारणा बनायी जानी चाहिए कि वह मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।
फैसले में देरी नहीं करना चाहता: नार्वेकर
महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शुक्रवार को कहा कि वह शिवसेना के कुछ विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी नहीं करना चाहते, लेकिन उन्होंने ‘न्याय में विलंब होने से न्याय से वंचित होने’ की कहावत का हवाला देते हुए दावा किया ‘जल्दबाजी में किये गये न्याय से न्याय दफन हो जाता है।’