प्रयागराज, 12 नवंबर (एजेंसी)
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के ‘पीसीएस-प्री’ और ‘आरओ-एआरओ’ की परीक्षा दो दिन में संपन्न कराने के निर्णय के विरोध में मंगलवार को आंदोलन के दूसरे दिन छात्रों ने ड्रम, ढोल-ताशे आदि बजाकर अपनी आवाज बुलंद की जिससे आयोग के भीतर बैठे अधिकारियों तक उनकी आवाज पहुंच सके। आंदोलनकारी छात्रों ने रात खुले आसमान के नीचे गुजारी और मंगलवार की सुबह से फिर से धरना प्रदर्शन में जुट गए तथा आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत के खिलाफ नारेबाजी की। इस बीच, एक छात्र गणेश सिंह ने बताया कि आयोग के सचिव अशोक कुमार दो बार आयोग के गेट से बाहर आए और उन्होंने आंदोलन कर रहे छात्रों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन छात्र ‘एक दिन, एक परीक्षा’ की अपनी मांग पर अड़े हैं। उन्होंने कहा कि आयोग को आखिर छात्रों की मांग मानने में क्या परेशानी है। गणेश ने कहा कि पिछले 24 घंटे से छात्र लगातार संघर्ष कर रहे हैं और आयोग अपने रुख पर अड़ा है। उन्होंने कहा कि अगर संघ लोक सेवा आयोग एक ही दिन में परीक्षा करा सकता है तो इस आयोग को क्यों दिक्कत आ रही है। आयोग के सचिव अशोक कुमार ने बताया, ‘आयोग का दिशानिर्देश है कि सरकारी शिक्षण संस्थान को ही परीक्षा केंद्र बनाया जाए और केंद्र मुख्यालय से 10 किलोमीटर के दायरे में हो। इससे पूर्व जब पेपर लीक हुआ था तो इन्हीं छात्रों ने मांग उठाई थी कि निजी संस्थानों को परीक्षा केंद्र न बनाया जाए।” उन्होंने कहा, ‘जब सरकार ने छात्रों की मांग पर विचार करते हुए दिशानिर्देश बनाया तो अब ये छात्र विरोध कर रहे हैं। पीसीएस परीक्षा के लिए 5,76,000 परीक्षार्थियों का पंजीकरण है, जबकि सभी 75 जनपदों में 4,35,000 परीक्षार्थियों के लिए ही केंद्र मिल पा रहे हैं। ऐसे में दो दिन परीक्षा कराना मजबूरी है।” आयोग के गेट के सामने धरने पर बैठे छात्रों के हाथों में अलग अलग नारे लिखी तख्तियां थीं जिसमें किसी में लिखा था “बटेंगे नहीं, हटेंगे नहीं, न्याय मिलने तक एक रहेंगे”, तो किसी में लिखा था, “एक दिन, एक परीक्षा”। इस बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने छात्रों के पक्ष में आवाज उठाते हुए परीक्षा केंद्रों के व्यवस्थापन एवं निर्धारण, नॉर्मलाइजेशन, परीक्षाओं को दो पाली में करवाने एवं परीक्षाओं की शुचिता बनाए रखने हेतु आयोजन संबंधी विषयों पर अभ्यर्थियों से बातचीत करके शीघ्र सकारात्मक उचित कदम उठाने की मांग की है। आयोग ने सोमवार रात एक बयान जारी करके कहा था, “परीक्षाओं की शुचिता और छात्रों के भविष्य को संरक्षित करने के उद्देश्य से परीक्षाएं केवल उन केंद्रों पर कराई जा रही हैं, जहां किसी प्रकार की गड़बड़ियों की कोई संभावना नहीं है। पूर्व में दूर-दराज के परीक्षा केंद्रों में कई प्रकार की गड़बड़ियां संज्ञान में आयी हैं, जिन्हें खत्म करने के लिए यह कदम उठाए गए हैं।”