नयी दिल्ली, 2 अगस्त (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसने विवादों से घिरी नीट-यूजी-2024 परीक्षा को रद्द नहीं किया, क्योंकि इसकी शुचिता में कोई प्रणालीगत चूक नहीं पायी गई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने 23 जुलाई को सुनाए गए आदेश आदेश में कहा कि एनटीए को अपना ढुलमुल रवैया बंद करना चाहिए, क्योंकि यह छात्रों के हित में नहीं है। पीठ ने कई निर्देश जारी किए तथा एनटीए के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए इसरो के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में केंद्र द्वारा नियुक्त समिति के दायरे का विस्तार किया। इसमें कहा गया है कि चूंकि समिति का दायरा बढ़ा दिया गया है, इसलिए समिति परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करने के लिए विभिन्न उपायों पर अपनी रिपोर्ट 30 सितंबर तक प्रस्तुत करे। पीठ ने कहा कि राधाकृष्णन समिति को परीक्षा प्रणाली को मजबूत करने के मद्देनजर उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने पर विचार करना चाहिए। इसमें कहा गया है कि नीट-यूजी परीक्षा के दौरान जो समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, उन्हें केंद्र द्वारा दूर किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई को नीट-यूजी 2024 को रद्द कर दोबारा आयोजित कराने के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
सच्चाई हमेशा जीतती है
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि वर्ष 2024 की नीट-यूजी में शुचिता का कोई प्रणालीगत उल्लंघन नहीं होने संबंधी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी केंद्र सरकार के रुख की पुष्टि करती है। उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, ‘झूठ के बादल कुछ समय के लिए सच्चाई के सूर्य को छिपा सकते हैं, लेकिन सच्चाई हमेशा जीतती है।’ उन्होंने कहा कि न्यायालय के निष्कर्ष और फैसले ने उस दुष्प्रचार को सिरे से खारिज कर दिया जिसे प्रसारित किया जा रहा था।
चुनावी बॉन्ड योजना की एसआईटी जांच संबंधी याचिकाएं खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना की अदालत की निगरानी में जांच के अनुरोध वाली कई याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस चरण में हस्तक्षेप करना अनुचित और समय पूर्व कार्रवाई होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस धारणा पर चुनावी बॉन्ड की खरीद की जांच का आदेश नहीं दे सकती कि यह अनुबंध देने के लिए एक तरह का लेन-देन था। पीठ ने कहा, ‘अदालत ने चुनावी बॉण्ड को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार किया क्योंकि इसमें न्यायिक समीक्षा का पहलू था। लेकिन आपराधिक गड़बड़ियों से जुड़े मामलों को अनुच्छेद 32 के तहत नहीं लाया जाना चाहिए, जब कानून के तहत उपाय उपलब्ध हैं।’