नयी दिल्ली, 22 अक्तूबर (एजेंसी)
दिल्ली की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस साल फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे राष्ट्रीय राजधानी में ‘विभाजन के बाद सबसे भयानक सांप्रदायिक दंगे थे’ और यह ‘प्रमुख वैश्विक शक्ति’ बनने की आकांक्षा रखने वाले राष्ट्र की अंतरात्मा में एक ‘घाव’ था। अदालत ने आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के तीन मामलों में जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणियां की। हुसैन पर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए अपने राजनीतिक दबदबे का दुरुपयोग करने का आरोप है।
अदालत ने कहा, ‘यह सामान्य जानकारी है कि 24 फरवरी, 2020 के दिन उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई हिस्से सांप्रदायिक उन्माद की चपेट में आ गये, जिसने विभाजन के दिनों के नरसंहार की याद दिला दी। दंगे जंगल की आग की तरह राजधानी के नये भागों में फैल गये और कई निर्दोष लोग इसकी चपेट में आ गये।’ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा, ‘दिल्ली दंगे 2020 एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा रखने वाले राष्ट्र की अंतरात्मा पर एक घाव है और दिल्ली में हुए ये दंगे ‘विभाजन के बाद सबसे भयानक सांप्रदायिक दंगे थे।’ अदालत ने कहा कि इतने कम समय में इतने बड़े पैमाने पर दंगे फैलाना ‘पूर्व-नियोजित साजिश’ के बिना संभव नहीं है।
ये हैं मामले :
पहला मामला दयालपुर इलाके में हुए दंगों के दौरान हुसैन के घर की छत पर पेट्रोल बम के साथ 100 लोगों की कथित मौजूदगी और लोगों पर बम फेंकने से जुड़ा है। दूसरा मामला एक दुकान में लूटपाट से जुड़ा है जिसके कारण दुकान के मालिक को लगभग 20 लाख रुपये का नुकसान हुआ जबकि तीसरा मामला एक दुकान में लूटपाट और जलाने से संबंधित है।