कोलकाता, 8 सितंबर (एजेंसी)
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद जवाहर सरकार ने रविवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कहा कि उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता तथा राजनीति छोड़ने का फैसला किया है।
उन्होंने आरजी कर अस्पताल की चिकित्सक से कथित बलात्कार व उसकी हत्या के मामले में राज्य सरकार द्वारा उठाये गए कदम को अपर्याप्त और काफी देर से उठाया गया बताया है। पत्र में, जवाहर सरकार ने कहा कि राज्य सरकार से उनका मोहभंग हो गया है।
चिकित्सक की मौत पर विरोध प्रदर्शन को स्वतःस्फूर्त बताते हुए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने कहा कि उन्होंने किसी सरकार के खिलाफ ‘ऐसा गुस्सा और घोर अविश्वास’ कभी नहीं देखा। उन्होंने पत्र में लिखा, ‘दलगत राजनीति में सीधे शामिल हुए बिना सांसद बनने का मुख्य उद्देश्य यह था कि इससे भाजपा और उसके प्रधानमंत्री की निरंकुश व सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए एक उत्कृष्ट मंच मिलेगा। इसे लेकर मुझे कुछ हद तक संतुष्टि है और संसद में चर्चा के दौरान मैंने कई बार हस्तक्षेप किए…।’ जवाहर सरकार ने कहा कि तृणमूल में शामिल होने के एक साल बाद 2022 में वह पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ भ्रष्टाचार के खुले सबूत देखकर काफी हैरान रह गए। अपनी मध्यमवर्गीय जीवनशैली का जिक्र करते हुए सरकार ने कहा कि उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि पंचायत और नगरपालिकाओं में चुने गए तृणमूल के कई लोगों ने काफी संपत्ति अर्जित कर ली है और वे महंगी गाड़ियों में घूमते हैं। उन्होंने कहा, ‘इससे न केवल मुझे, बल्कि पश्चिम बंगाल के लोगों को भी दुख होता है।’
सीएम से बात करने का नहीं मिला मौका
सरकार ने दावा किया कि उन्होंने यह पत्र इसलिए लिखा कि उन्हें महीनों तक मुख्यमंत्री बनर्जी से व्यक्तिगत रूप से बात करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही राज्यसभा के सभापति को इस्तीफा सौंपेंगे। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि उम्मीद है कि नेतृत्व मुद्दों पर ध्यान देगा। भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘पहले भी उन्होंने संसद की सदस्यता छोड़ने की इच्छा जताई थी। बाद में वह पलट गए। अब देखते हैं क्या होता है।’