नयी दिल्ली, 12 जुलाई (एजेंसी)
विपक्षी दलों के सदस्यों और कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को सरकार पर अशोक की लाट के ‘मोहक और राजसी शान वाले’ शेरों की जगह उग्र शेरों का चित्रण कर राष्ट्रीय प्रतीक के रूप को बदलने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे तत्काल बदलने की मांग की। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ट्वीट किया, ‘नरेंद्र मोदी जी, कृपया शेर का चेहरा देखिए। यह महान सारनाथ की प्रतिमा को परिलक्षित कर रहा है या गिर के शेर का बिगड़ा हुआ स्वरूप है। कृपया इसे देखिए और जरूरत हो तो इसे दुरुस्त कीजिए।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नये संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया था। इस दौरान आयोजित समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश उपस्थित थे।
विपक्ष ने मोदी पर संविधान के नियमों को तोड़ने और समारोह में विपक्षी नेताओं को आमंत्रित नहीं करने के लिए निशाना साधा। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य जवाहर सरकार ने राष्ट्रीय प्रतीक के दो अलग-अलग चित्रों को साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘यह हमारे राष्ट्रीय प्रतीक का, अशोक की लाट में चित्रित शानदार शेरों का अपमान है। बायीं ओर मूल चित्र है। मोहक और राजसी शान वाले शेरों का। दायीं तरफ मोदी वाले राष्ट्रीय प्रतीक का चित्र है जिसे नये संसद भवन की छत पर लगाया गया है। इसमें गुर्राते हुए, अनावश्यक रूप से उग्र और बेडौल शेरों का चित्रण है। शर्मनाक है। इसे तत्काल बदलिए।’ इतिहासकार एस इरफान हबीब ने भी नये संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, ‘हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के साथ छेड़छाड़ पूरी तरह अनावश्यक है और इससे बचा जाना चाहिए। हमारे शेर अति क्रूर और बेचैनी से भरे क्यों दिख रहे हैं? ये अशोक की लाट के शेर हैं जिसे 1950 में स्वतंत्र भारत में अपनाया गया था।’
वरिष्ठ वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा, ‘गांधी से गोडसे तक, शान से और शांति से बैठे हमारे शेरों वाले राष्ट्रीय प्रतीक से लेकर सेंट्रल विस्टा में निर्माणाधीन नये संसद भवन की छत पर लगे उग्र तथ दांत दिखाते शेरों वाले नये राष्ट्रीय प्रतीक तक। यह मोदी का नया भारत है।’
आलोचना राजनीति से प्रेरित : भाजपा
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने कहा, ‘यह विरोध शुद्ध रूप से राजनीतिक कारणों से प्रेरित है। विपक्षी दल किसी न किसी बहाने प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाना चाहते हैं। यह लोगों को गुमराह कर वातावरण को दूषित करने का महज एक षड्यंत्र है।’ बलूनी ने कहा कि आलोचक सोमवार को अनावृत राष्ट्रीय प्रतीक की तुलना सारनाथ स्थित राष्ट्रीय प्रतीक से कर रहे हैं और विभिन्न कोनों से ली गई उसकी तस्वीरें साझा कर विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह ध्यान देना भी जरूरी है कि संसद भवन पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक की ऊंचाई 6.5 मीटर है जो कि सारनाथ स्थित राष्ट्रीय प्रतीक से तीन गुणा बड़ा है।