शमीम शर्मा
कहने को चाहे सौ बार कह दो कि नाम में क्या रखा है पर नाम ही हमारी पहचान होती है। अपना नाम हम जिंदगीभर ढोते हैं। मरने के बाद बची हुई राख भी हुर्र-फुर्र हो जाती है पर नाम ही बचता है। कई बार तो असली नाम विवाह के कार्डों से ही पता चलते हैं जैसे सांडे का असली नाम संदीप और कुल्ले का असली नाम कुलदीप। लिल्ले का पूरा नाम लीलाधर और मीनाक्षी का मींडकी। निक का तो पता नहीं पर हिंदी-पंजाबी में निक्का का मतलब है छोटा। कई बार असली नाम के साथ घर में प्यार से पुकारे जाने वाले नाम को भी ‘निक नेम’ कहा जाता है।
मूल नाम का दलिया बना कर मूल नाम से ही कोई नाम गढ़ लिया जाये तो उसे भी निक नेम ही कहा जाता है। नामों को बिगाड़कर बोलने की प्रथा का जन्म पता नहीं कैसे हुआ होगा। मेरे ख्याल से पहले तो हम लाड़-लाड़ में नाम को छोटा-बड़ा कर अपने मुख-सुख के हिसाब से बोलते हैं और बाद में वही नाम पक जाता है। असली नाम या तो स्कूल के रजिस्टर में दर्ज रहता है या नौकरी के अपायंटमेंट लैटर में या शादी के निमंत्रण पत्रों पर।
कई निक नेम रंग और शक्ल पर भी आधारित होते हैं जैसे कालिया, भूंडिया, गिठिया, गौरु, भूरिया, लंगड़ा आदि। तैमूर लंग नामक क्रूर शासक और लुटेरे के नाम के पीछे लंग शब्द इसीलिये लगा कि वह लंगड़ा था।
एक ही नाम के कई आदमी होते हैं पर वे एक जैसे नहीं होते। ओमप्रकाश नाम का मास्टर भी हो सकता है और चपड़ासी भी। किसी मल्टीनेशनल कंपनी का महाप्रबंधक भी हो सकता है, मंत्री भी, उद्योगपति भी। पर ओमप्रकाश को घर, गली, मोहल्ले में ओमी या ओमिया कह कर जरूर पुकारा गया होगा।
नामों में विचित्रता को लेकर एक हास्य कवि का कहना है कि स्वर्णसिंह के हाथ में लोहे का कड़ा मिल जायेगा और अशर्फीलाल के घर टूटी कुर्सी रखी मिलेगी। गणेशीलाल के कौन-सी सूंड होती है और हवेलीराम किराये के दो कमरों में रहते मिलेंगे। मक्खनलाल रूखे स्वभाव के हो सकते हैं और गंगाराम की सोच में खुश्की मिल सकती है। मिश्रीलाल की बातों में खारापन हो सकता है। सुधा और अमृता जहरीली भी हो सकती हैं। कृष्णकुमार की पत्नी का नाम सीता भी मिल जाता है। कौशल्या के बेटे का नाम दशरथ हो सकता है। विजय कुमार सात बार चुनाव हारा मिलेगा। ज्ञानचंद पांचवीं पास मिल जायेगा।
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एक बर की बात है अक सुरजा मास्टर बालकां तैं मैथ की क्लास पढ़ाते होये बूज्झण लाग्या- न्यंू बताओ जै एक हजार किल्लो एक टन के बराबर है तो 3000 किलो कितना है। नत्थू उत्तर देण खात्तर जमा तैयार ए बैठ्या था, बोल्या- टन टन टन।